राजा और ब्राह्मण

बोधिसत्व ने एक बार बनारस के राजा ब्रह्मदत्त के बेटे जुन्हा के रूप में जन्म लिया।

एक दिन जब वह सड़क के किनारे-किनारे चला जा रहा था,

तभी उसका पैर सड़क किनारे बैठे एक ब्राह्मण भिखारी

के दान पात्र पर पड़ गया। उसका सारा सामान टूट-फूट गया।

जुन्हा उस ब्राह्मण भिखारी से बोला,

“देव, मुझे बड़ा दुख है कि मेरे कारण आपका इतना नुकसान हुआ।

अभी तो मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है,

लेकिन मैं वचन देता हूँ कि राजा बनने के बाद मैं तुम्हारी क्षतिपूर्ति अवश्य कर दूँगा।

जब मेरा राज्याभिषेक हो जाए, तब किसी दिन मुझे मेरा यह वचन याद दिला देना।”

कुछ सालों बाद, जुन्हा बनारस का राजा बन गया।

एक दिन जब वह नगर -भ्रमण पर निकला था,

तभी वह ब्राह्मण उसके रथ के सामने आकर बोला, “महाराज की जय हो!”

इतना कहकर उसने जुन्हा को उसका वचन याद दिलाया।

जुन्हा को सब याद आ गया और उसने तुरंत उस ब्राह्मण को ढेर सारे महँगे-महँगे उपहार दे दिए।