हवा और सूरज

एक दिन सूरज और हवा के बीच इस बात को लेकर बहस होने लगी

कि उनमें से कौन अधिक शक्तिशाली है। आखिरकार दोनों

ने

मुकाबला करने का निश्चय किया।

उन्होंने तय किया कि जो किसी मनुष्य के

कपड़े उतरवा देगा, वह अधिक शक्तिशाली कहलाएगा।

हवा ने सड़क पर आ रहे एक ऐसे व्यक्ति की ओर बहना शुरू कर दिया,

जो पूरे कपड़े पहने था।

हवा जब बहुत तेज़ चलने लगी तो उस व्यक्ति ने अपने को कपड़ों से और अच्छी तरह

ने

से लपेट लिया।

हवा जितनी तेज़ चलती, वह व्यक्ति अपने कपड़ों को और

अच्छी तरह से ओढ़ लेता और उसका मुकाबला करता।

हवा के बहुत प्रयास के बाद भी उस व्यक्ति के कपड़े उसके तन पर बने रहे।

अब बारी सूरज की थी। सूरज पूरी तेज़ी से चमकना शुरू कर दिया।

सूरज की गर्मी से वह व्यक्ति परेशान हो उठा और एक-एक करके उसने अपने तन के कपड़े उतारने शुरू कर

दिए और थोड़ी ही देर में वह लगभग निर्वस्त्र हो गया।

निर्णय हो चुका था। सूरज की जीत हो चुकी थी।

जो काम ताकत से नहीं हो सकता उसे बुद्धि के ज़रिए किया जा सकता है।