एक तुरहीवादक को बंदी के रूप में जेल में डाल दिया गया।
जब उसे गिरफ्तार किया गया था और जेल ले जाया जा रहा था, तो वह
चिल्ला-चिल्लाकर सिपाहियों से कहने लगा,
“सिपाहियो, मुझे छोड़ दो। मैंने किसी की जान नहीं ली है। मैं तो बस सेना
के साथ अपनी तुरही लिए चल रहा था। मैं तो उन सिपाहियों को बहादुरी से लड़ने के
लिए प्रोत्साहित कर रहा था। और मैंने कुछ नहीं किया ।”
सिपाही उसका चिल्लाना सुनकर हँसने लगे और बोले, “दोस्त, तुम्हें इसी काम के लिए तो
जेल में डाला जा रहा है। तुमने भले ही लोगों को जान से नहीं मारा है,
लेकिन तुमने दूसरों को हत्याएँ करने के लिए उकसाया तो है।
जो दूसरों को जनसंहार और रक्तपात करने के लिए भड़काता है, वह तो उन हत्यारों से भी बुरा होता है।”