एक लोमड़ी थी, जो एक किसान को बहुत परेशान किया करती थी।
वह किसान के मुर्गीबाड़े में घुसकर हमेशा उसके मुर्गे-मुर्गियाँ खा जाया करती थी।
किसान उस लोमड़ी से बहुत तंग आ चुका था।
उसने लोमड़ी को सबक सिखाने का निश्चय
किया। कई दिनों बाद, एक दिन आखिरकार वह लोमड़ी को
पकड़ने में सफल हो ही गया। गुस्से में उसने एक रस्सी को तेल में भिगोकर
लोमड़ी की पूँछ से बाँध दिया और उसमें आग लगा दी ।
लोमड़ी आग से परेशान होकर किसान के पूरे खेत में दौड़ने लगी। देखते ही देखते
किसान की पूरी फसल में आग लग गई। लोमड़ी की पूँछ तो जली ही,
साथ ही किसान भी बर्बाद हो गया ! किसान ने गुस्से में आकर अगर इस तरह का काम न किया होता तो उसे
इतना बड़ा नुकसान न झेलना पड़ता। उसे अपने किए पर बहुत पछतावा होने लगा।
उसने तय किया कि अब वह गुस्से में आकर कभी भी ऐसा काम नहीं करेगा।