एक बार की बात है। एक महिला के पास एक भेड़ा था।
वह महिला ऊन निकालने के लिए भेड़े के बाल काटा करती थी।
बाल काटते समय कई बार उसकी कैंची भेड़े के तन पर लग जाती थी।
इससे भेड़े को बहुत कष्ट होता था।
कई बार तो उसे लगता था कि दर्द के मारे उसकी जान निकली जा रही है।
एक दिन, जब वह महिला भेड़े के बाल काटकर ऊन निकाल रही थी, तभी भेड़ा चिल्ला पड़ा,
“अरे मालकिन, तुम क्यों मुझे इस तरह से प्रताड़ित कर रही हो ?
क्या मेरा खून निकलने से यह ऊन और अधिक कीमती हो जाती है ?
मेरा माँस ही निकालना है तो किसी कसाई के पास भेज दो।
और अगर ऊन ही निकालना है तो किसी ऐसे कारीगर के पास भेजो,
जो तरीके से मेरे सिर्फ बाल काटे, मेरा माँस नहीं ।
” थोड़ा खर्चा बचाने के प्रयास में कई बार बड़ी
हानि हो जाती है।