दो महत्वाकांक्षी राजकुमार

दो राजकुमारों ने शिवजी की आराधना शुरू की।

वे उनसे ऐसा वरदान चाहते थे, जिसके सहारे वे अपनी हर इच्छा पूरी कर सकें।

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी उनके सामने प्रकट हुए।

शिवजी के दर्शन करके दोनों राजकुमार बहुत प्रसन्न हुए और इसी

प्रसन्नता में डूबकर वे यही भूल गए कि वे उनसे क्या वरदान माँगना चाहते थे।

शिवजी ने उनसे कहा, “बोलो, तुम्हें क्या चाहिए। मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा।”

दोनों राजकुमारों को कुछ समझ नहीं आया। अचानक वे बोल पड़े, “हम पार्वती से विवाह करना चाहते हैं।”

शिवजी स्तब्ध रह गए, लेकिन वे अपने वचन के पक्के थे।

उन्हें तो अपना वचन निभाना ही था।

उन्होंने सुंदरी पार्वती को दोनों के सामने प्रकट कर दिया, लेकिन अब उन्हें लेकर दोनों राजकुमारों के बीच झगड़ा होने लगा।

दोनों ही राजकुमार पार्वती से विवाह करने के लिए व्यग्र थे।

दोनों राजकुमारों के बीच रक्त-रंजित झगड़ा होने लगा।

लड़ाई होते-होते दोनों मारे गए और इस प्रकार किसी को भी कुछ हासिल नहीं हुआ ।

मतभेदों का परिणाम केवल बैर, क्रोध और हानि ही होते हैं।