वसंतारा नाम का मनुष्य अपने त्याग के लिए प्रसिद्ध था।
उसके पास बहुत सारे जानवर थे, जिनमें पक्षया नाम का सफ़ेद हाथी भी था।
उस हाथी के पास एक ऐसी सिद्धि थी जिससे वह वर्षा के देवता इंद्र को बुला सकता था।
कलिंग राज्य में जब भयंकर सूखा पड़ा तो वसंतारा ने यह हाथी वहाँ के राजा को दान कर दिया था।
एक दिन जुजाक नामक ब्राह्मण वसंतारा के घर आया और उससे उसके दोनों बेटे माँगने लगा। वसंतारा को
बहुत दुख हुआ लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप उसने दोनों बेटे ब्राह्मण को दे ही दिए।
वसंतारा के त्याग के बारे में सुनकर देवताओं के राजा सक्क ने वसंतारा की दानशीलता की परीक्षा लेने का निश्चय किया।
उन्होंने एक भिखारी का वेश धारण किया और जाकर वसंतारा की पत्नी को ही माँग लिया।
इस बार भी वसंतारा ने बातम ली, लेकिन अपनी पत्नी से बिछुड़ते हुए उसे बहुत दुख हो रहा था।
सक्क उसकी दानशीलता से बहुत अधिक प्रभावित हुआ और
उसके सामने अपने असली रूप में प्रकट हो गया। सक्क ने उसे
आशीर्वाद दिया और वसंतारा ने अब तक जो-जो दान किया था,
वह सब उसे वापस मिल गया।