ब्रह्मदत्त नाम का एक व्यक्ति किसी दूर देश की यात्रा पर गया।
उसकी माँ ने एक बक्से में एक छोटा-सा केकड़ा रखकर उसे दिया
और बोली, “तुम्हारी यात्रा में यह तुम्हारा साथी रहेगा।”
“यह छोटा-सा मूक जानवर मेरा साथी कैसे हो सकता है ?”
बेटे ने कहा लेकिन माँ की बात मानते हुए वह उस बक्से को साथ में लेकर यात्रा पर निकल पड़ा।
काफी देर चलने के बाद उसने एक पेड़ के नीचे आराम करने का निश्चय किया।
उसने बक्सा नीचे रख दिया और सो गया। उसी
दौरान उस पेड़ में बने एक बिल से एक साँप निकल आया।
तभी केकड़ा किसी तरह से उस बक्से से निकल आया और उसने
अपने नुकीले पंजों से साँप को मार डाला।
जब ब्रह्मदत्त जागा तो उसने अपने पास में मरा हुआ साँप देखा।
वह समझ गया कि केकड़े ने ही उसकी जान बचाई है।