पेट और शरीर के अन्य अंग

एक बार मानव शरीर के सभी अंग पेट के विरुद्ध एकजुट हो गए।

पेट दिन भर कुछ नहीं करता था और आराम का जीवन बिता रहा था।

अन्य सारे अंगों ने तय किया कि वे पेट तक कुछ भी नहीं पहुँचने देंगे।

हाथ ने कहा, “मैं उसके लिए एक भी कौर उठाकर नहीं दूँगा।"

मुँह भी बोल पड़ा, “मैं उसके लिए कुछ भी नहीं चबाऊँगा।”

पैरों ने भी तय किया कि वे पेट को उठाकर यहाँ-वहाँ नहीं जाया करेंगे।

धीरे-धीरे पूरा शरीर जड़ हो गया।

खाना-पीना न पहुँचने से शरीर में कमज़ोरी और बीमारी आ गई।

शरीर के सारे अंगों को कष्ट होने लगा।

आखिरकार, एक दिन सारे अंगों को समझ में आ ही गया कि शरीर के सारे अंग एक-दूसरे से जुड़े हैं।

पेट भी शरीर का अभिन्न अंग है।

उसके बाद से सारे अंगों ने फिर से अपना-अपना काम शुरू कर दिया

और शरीर फिर से स्वस्थ हो गया।