महाभेंट और इच्छा पूरी करने वाली मणि

बोधिसत्व ने एक बार एक दयालु राजकुमार के रूप में जन्म लिया।

उनका नाम महाभेंट रखा गया। एक दिन राजकुमार पास के गाँव गया ।

वहाँ उसे अपनी प्रजा के कष्ट दिखाई दिए।

उनकी दरिद्रता से दुखी होकर उसने उन लोगों को धन-दौलत देने का निश्चय किया।

हालाँकि, उसके पास इतना धन नहीं था कि वह सबकी निर्धनता दूर कर सके।

उसने उन गाँव वालों को एक ऐसी मणि देने का निश्चय किया जो हर तरह की इच्छा पूरी कर सकती थी।

वह मणि रत्नद्वीप के एक झरने में पड़ी थी।

राजकुमार लंबी यात्रा करके रत्नद्वीप पहुँचा।

वहाँ के निवासी राजकुमार को नहीं पहचान पाए और उन्होंने उसका स्वागत नहीं किया।

हालाँकि, राजकुमार को यह बात बुरी नहीं लगी।

उसने द्वीप के राजा को उस जगह के किले को मज़बूत बनाने में सहायता की,

जहाँ वह मण रखी थी।

राजा उसकी भलमनसाहत और सेवा से बहुत प्रसन्न हुआ।

उसने वह इच्छा पूरी करने वाली मणि राजकुमार को भेंट कर दी।

राजकुमार उस मणि को लेकर वापस लौट आया।

उस मणि के सहारे सारे लोग बहुत धनी हो गए।