एक दिन एक व्यापारी ने व्यापार करने के लिए शहर जाने का निश्चय किया।
उसने अपने साथ कुछ और लोगों को भी ले लिया।
शहर जाने के लिए उन्हें रेगिस्तान से गुज़रना था ।
जब वे लोग रेगिस्तान पहुँचे, तो उन्हें बहुत गर्मी लगने लगी।
व्यापारी और उसके साथियों ने तय किया कि शेष यात्रा वे रात में करेंगे।
जब रात हुई, तो उन्होंने अपनी यात्रा फिर शुरू कर दी।
उनमें से एक व्यक्ति को सितारों की जानकारी थी।
वह सितारों की स्थिति के अनुसार लोगों को आगे बढ़ने का रास्ता बताने लगा।
उन लोगों ने बिना रुके सारी रात यात्रा की।
दिन होने पर वे रुक गए और वहीं आराम करने लगे।
दो दिन इसी तरह यात्रा करते रहे। अब उनकी यात्रा एक दिन की और बची थी।
अचानक उनके पास का सारा पानी समाप्त हो गया।
सारे लोग थक चुके थे और बिना पानी पिए यात्रा करने
की उनमें शक्ति नहीं बची थी। वे बैठ गए।
व्यापारी ने पानी खोजने का निश्चय किया। वह चल पड़ा। आखिरकार, उसे कुछ घास दिखाई दी।
वह सोचने लगा, “यहाँ घास होने का मतलब है कि यहीं धरती के नीचे पानी भी होगा ।"
उसके सारे साथी भागकर वहाँ आ गए और खुदाई करने लगे।
उन लोगों के खोदे गड्ढे में व्यापारी कूद गया और उसमें पड़ी चट्टान से कान लगाकर कुछ सुनने की
कोशिश करने लगा।
उसने अपने साथियों से कहा, “मुझे इस चट्टान के अंदर पानी बहने की आवाज़ सुनाई दे रही है।
हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।"
ऐसा कहकर वह व्यापारी गड्ढे से बाहर निकल आया और अपने साथियों से बोला,
“अगर तुम लोगों ने हिम्मत खो दी, तो हम भी खो जाएँगे।
इसलिए हिम्मत मत हारो और खुदाई करते रहो।”
सारे साथी हथौड़े से चट्टान तोड़ने में जुट गए। व्यापारी की बात मानकर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
आख्रिकार, चट्टान टूट गई और गड्डा पानी से लबालब भर गया।
सारे लोगों ने छककर पानी पिया।
उन्होंने अपने बैलों को भी पानी पिलाया और जमकर स्नान भी किया।
नहाने-धोने के बाद वे अपने साथ लाई लकड़ियाँ चीरने लगे।
उन लकड़ियों से उन्होंने आग जलाई और चावल पकाए।
सभी ने खाना खाया और दिन भर आराम किया।
उन लोगों ने उस गड्ढे के पास एक झंडा भी गाड़ दिया, ताकि आने-जाने वाले यात्रियों को भी पानी का पता लग जाए ।
दिन ढलने के बाद सभी ने फिर से यात्रा शुरू कर दी और सुबह तक शहर पहुँच गए।
वहाँ उन्होंने अच्छी तरह से व्यापार किया और अच्छा मुनाफा कमाकर अपने गाँव लौट आए।
इच्छा और संकल्प सब कुछ हासिल किया जा सकता है।