एक पुरानी कहावत है कि मनुष्य दो पोटलियों के साथ पैदा होता है।
एक पोटली उसकी पीठ पर लदी होती है और दूसरी उसके गले से आगे लटकी होती है।
दोनों पोटलियों में अवगुण भरे रहते हैं।
आगे की पोटली में पड़ोसियों के अवगुण भरे रहते हैं और पीठ पर लदी पोटली में मनुष्य के स्वयं के अवगुण भरे रहते हैं।
इस कहानी की मज़ेदार सच्चाई यह है कि मनुष्य अपने अवगुणों को कभी नहीं देख पाता,
जबकि दूसरों के अवगुणों पर उसकी निगाह हमेशा रहती है।
अपनी कमियों की वह हमेशा अनदेखी करता है और उसका ध्यान हमेशा दूसरों के कामों पर रहता है।