एक बार की बात है।
दो जुआरी रहते थे।
उनमें से एक तो ईमानदार था, लेकिन दूसरा बेईमान था ।
जब बेईमान जुआरी को लगता था कि वह दाँव हार रहा है तो वह चुपके से पाँसे को निगल जाता
और कहने लगता कि पाँसा गायब हो गया है।
एक बार पहले जुआरी ने उसकी चालाकी देख ली और उसे सबक सिखाने का निश्चय किया ।
अगले दिन, उसने खेल शुरू होने से पहले ही पाँसे पर कुछ विष लगा दिया।
कुछ ही देर बाद बेईमान जुआरी दाँव हारने लगा।
अपनी हार तय समझ उसने हमेशा की तरह पाँसा निगल लिया।
थोड़ी ही देर में विष ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया और वह बीमार हो गया।
उसकी हालत देखकर ईमानदार जुआरी को उस पर दया आ गई।
उसने उसका इलाज कराकर उसे ठीक करवाया ।
"मेरे दोस्त, मैंने यह सब तुम्हें सबक सिखाने के लिए किया था।
अब कभी अपने किसी मित्र को धोखा नहीं देना,” उसने समझाया।