हरी लकड़ियाँ करने वाला इकट्ठा

एक दिन कुछ विद्यार्थी आग जलाने के लिए लकड़ियाँ बीनने जंगल गए।

एक विद्यार्थी ने बिना पत्तों वाला एक पेड़ देखा।

उसने सोचा कि वह तो इस पेड़ से आसानी से लकड़ियाँ तोड़ लेगा

और समय पर लौट जाएगा।

ऐसा सोचकर वह उस पेड़ के नीचे आराम करने लगा।

शाम को जब वह उठा, तो उसने पाया कि पेड़ की डालियाँ तो हरी हैं

और जलाने लायक नहीं हैं।

विद्यार्थी को बहुत देर हो चुकी थी।

कोई अन्य उपाय न देख, वह कुछ हरी डालियाँ ही ले गया।

अगले दिन सुबह, रसोइए ने विद्यार्थियों के लिए हमेशा की तरह नाश्ता बनाना शुरू किया।

प्रयास करते-करते उसे बहुत देर हो गई, लेकिन वह आग ही नहीं जला पाया।

विद्यार्थियों को किसी महत्वपूर्ण काम से दूर ने के गाँव जाना था।

उन्हें देर होने लगी।

जब गुरु देरी का कारण पूछा तो उसने बुद्धिमानीपूर्वक जवाब दिया,

“आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए।

सारा काम कल पर टालने वाला आलसी व्यक्ति दूसरों को भी परेशानी में डालता है।”