निडर तपस्वी

एक नौजवान तपस्वी व्यापारियों के एक काफिले के साथ यात्रा कर रहा था।

काफिला रात में कहीं पर रुक जाता और सारे लोग सो जाते।

तपस्वी अकेला जागता रहता और उनके तंबू के आसपास घूमता रहता।

अचानक उसने देखा कि कुछ लुटेरों ने काफिले को घेर लिया है।

तपस्वी ने आक्रमण की तैयारी कर ली। एक लंबा डंडा

उठाकर उसने अकेले ही लुटेरों से लोहा लेना शुरू कर दिया।

“कायरो ! तुम एक इंसान को नहीं हरा सकते।

अगर मैं अपने साथियों को भी बुला लूँ तो क्या होगा ?”

लाठी घुमाते हुए तपस्वी ने कहा ।

लुटेरे उसकी शक्ति और साहस देखकर हैरान हुए और जल्द ही वहाँ से भाग निकले।

अगले दिन, व्यापारियों को सारी बात पता चली।

सभी ने तपस्वी को धन्यवाद दिया। “क्या तुम्हें लुटेरों से डर नहीं लगा ?”

वे पूछने लगे।

तपस्वी मुस्कराया और बोला, “लुटेरों से डर तो धनी लोगों को लगता है।

मेरे पास तो एक पैसा नहीं है। फिर मुझे किस बात का डर लगता ?”