बालक चार्ली की सचाई

एक शहर में चार्ली नाम का एक लड़का गेंद उछालता हुआ जा रहा था।

इतने में एक दवा बेचनेवाले की दूकान के बड़े शीशे पर गेंद जा लगा और वह शीशा टूट गया।

चार्ली वहाँ से भागा नहीं; क्योंकि वह बहादूर और सच बोलने वाला लड़का था।

वह तुरंत उस दूकान में गया और दूकानदार से बोला-'मेरी भूल से आपकी दूकान का शीशा टूट गया है।' दूकानदार ने टूटे हुए शीशे को देखकर उसे बैठा देने के लिए कहा।

लड़का गरीब था, उसने कहा-'मेरे पास पैसा नहीं है, पर मैं आपकी मजदूरी करके इसका खर्च चुका दूँगा।

इसके बाद उसने कई दिनों तक दूकानदार के यहाँ काम किया। शीशे का पैसा वसूल हो जाने के बाद उस दूकानदार ने कहा- 'तू ईमानदार लड़का है, मैं तुझे कारिन्दा के रूप में रखना चाहता हूँ।

उस लड़ेके ने उसकी नौकरी मंजूर कर ली और वह सुख से अपना गुजर करने लगा।

ईमानदारी शुरू में कुछ अखर जाती है, परंतु जो उसको पकड़े रखता है, उसको अन्त में उसका अच्छा फल मिले बिना नहीं रहता।