अपनी सचाई से दूसरों को सुधारने वाला बालक

एक खलासी का लड़का एक जहाज पर नौकरी करता था।

उस जहाज के सभी खलासी शराब पीते थे, पर वह लड़का शराब नहीं पीता था।

एक दिन जहाज का कप्तान उसके ऊपर बहुत प्रसन्न हुआ और उसको एक अच्छी जाति का शराब पीने के लिये दिया; पर लड़के ने बिल्कुल इनकार कर दिया।

कप्तान ने कहा-'तू क्या मेरा हुक्म नहीं मानेगा?

न मानेगा तो कैदखाने में डाल दूँगा। 'लड़के ने हाथ जोरकर कहा-'मैं आपका हुक्म तोड़ना नहीं चाहता; परंतु शराब के लिए मुझे ऎसा करना पड़ता है।' इसके बाद कप्तान ने आँखें दिखाकर कहा-'यदि तू यह शराब का प्याला नहीं पीयेगा तो अभी तेरे बेड़ी डाल दी जाएगी और किनारे चलकर हुक्म-उदूलीका फैसला किया जाएगा।

'कप्तान के ये शब्द सुनकर वह लड़का रोता हुआ कहने लगा-'मैं आपका हुक्म तोड़ता हूँ, इसका कारण यह है कि मैंने अपनी माँ को शराब न पीने का वचन दिया है। मेरे बाप शराब पीने की आदत से मर गये थे, इसलिए मेरी माँ ने मुझसे शराब न पीने का प्रण कराया है।

उस लड़के का यह उत्तर सुनकर कप्तान को आश्चर्य हुआ और वह बोला-'लड़के! तुम ठीक हो। मैं तुम्हारी टेक देखकर बहुत ही प्रसन्न हूँ। सब लोग तुम्हारे-जैसे हों, यह मैं चाहता हूँ। शराब जहर है, यह सब जानते हैं, पर आदत नहीं छोड़ते। इसलिए अब मैं भी आज से शराब पीना छोड़ता हूँ। इतना कहकर उसके पास जितनी शराब की शीशिया थीं सब वहीं से उसने समुद्र में फेंक दीं।