भिखारी बालक की ईमानदारी

एक धनी आदमी रास्ते से जा रहा था। एक फटे-हाल गरीब लड़का उसके पास गया और उसने पैसा माँगा। धनी ने अपनी जेब से एक चवन्नी निकाल कर उसके हाथ में दी और कहा-'इसमें से एक आना तुमको देना है, वह तू ले ले और्तीन आने मुझे वापस दे। उस लड़के के पास फुटकर पैसा न था। उसने कहा कि 'मैं इसे अभी भॅंजाकर लाता हूँ। इतना कहकर वह दौड़ गया। उसको देर लगते देखकर उन गृहस्थ ने थो देर राह देखी और फिर वह वहाँ से चला गया। वह लड़का चवन्नी भॅंजाकर पीछे लौटा; पर उसने उस गृहस्थ को वहाँ न देखा। तब उसने निश्चय किया कि वह इस रास्ते से जब कभी निकलेगा तब उसे तीन आने पैसे वापस कर दूँगा।

वह लड़का भीख माँगकर प्रतिदिन अपना गुजारा करता था, पर उस तीन आने पैसे को हाथ नहीं लगाता था। एक सप्ताह बाद वह गृहस्थ उसको दिखायी पड़ा। वह लड़का तुरंत ही उसके पास गया और उसके हाथ में तीन आने पैसे दे दिये। उस गृहस्थ को वह बात याद भी न थी। लड़के की ईमानदारी देखकर वह बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसकी गरीब हालत पर दया करके उसे अपने यहाँ ले गया। उसे स्कूल में भरती करवा दिया। उसके बाद वह लड़का धीरे-धीरे पढकर भारी विद्वान हो गया। उसे यश और सुख दोनों मिले।