एक व्यापारी कहीं विदेश जा रहा था । रास्ते मे वह एक होटल में रात को रहा और सवेरा होते-होते वहांँ से चल दिया । निश्चित स्थान पर जाने के बाद देखता क्या है कि उसकी रुपये की थैली पाकेट से गायब है । उस थैली मे तीन सौ रुपये की रकम थी जो आज के समय के हिसाब से हजारों की होगी । व्यापारी ने उस थैली के मिलने की आशा छोड़ दी और वह उस बात को भूल गया ।
उस मुसाफिर के जाने बाद होटलवाले लड़के की नजर होटल के आँगन मे पड़ी थैली पर गयी, पर उस समय उसने अपना हाथ न डालकर अपने बाप के पास आकर उसके बारे मे कहा बाप ने बेटे की बात सुनकर कहा बेटा ! तू उस थैली के उपर कुछ पत्ते और पेड़ की डाली फैला दे । इसके अनुसार लड़के ने थैली के ऊपर पत्ते और डालियाँ डालकर उसे ढक दिया ।
कुछ दिनो बाद वह मुसाफिर लौटकर उस होटल में रात को रहा । बातचित के सिलसिले मे उसने उस खोई हुई थैली की बात कही । उसकी बात पूरी होते ही वह होटलवाला बोला - आपकी थैली जहाँ पड़ी है, उस जगह को यह मेरा लड़का आपको दिखला देगा । उसपर इसने अपना हाथ नहीं लगाया है , केवल ऊपर से ढक दिया है ।
वह व्यापारी उस लड़के के साथ वहाँ गया और पत्तों तथा डालियोंको हटा कर अपनी थैली को बाहर निकाला । फिर होटल मे आकर उसने उस लड़के की खूब बड़ाई की ।
इस प्रकार जिसको पराये माल को छूने की भी इच्छा नहीं होती, वह लड़का बड़ा ईमानदार गिना जाता है ।