रजनी अपने भोले मुखड़े को नन्हे-नन्हे घुटनों पर रखे उदास बैठी थी ।
उसे अपनी डौल मैरी की शादी करनी थी ।
सब की डौलों की शादी धूमधड़ाके से हो रही थी ।
वीना की डौल रानी का भी कल ब्याह हो गया ।
महल्ले में बस रजनी की डौल ही बिनब्याही रह गई थी । पर वह क्या करे, गुड्डे वाली लड़कियां गुड्डों की शादी में दस रुपए नकद और दो पैकेट चाकलेट, दो डब्बे बिस्कुट और प्रति बाराती एक-एक गुब्बारा लेने से कम में राजी न थी ।
बड़ी मुश्किल से एक गुड्डा मिला । आठ रुपए नकद पर आया है, परन्तु अन्य मांगे वैसी ही हैं ।
खिड़की के पार उड़ती तितलियाँ, चिड़ियाँ की चहचहाहट उसे आज अच्छी नहीं लग रही थी ।
कैसे भी हो, इसी हफ्ते मैरी का ब्याह करना ही था । तभी वीना आती दिखाई दी । वह हाथ में कुछ लिए हुए थी ।
रजनी को उदास देख कर वीना पूछने लगी, " अरे रजनी तुम उदास क्यों हो ?"
रजनी मासूमियत से बोली, उदास न होऊं, सब की डौलों की शादी हो गई ।
एक मेरी मैरी रह गई ।
वीना हंसी, अरे, तो तुम भी उस की शादी कर दो ।
कैसे कर ? मेरे पास इतने पैसे नहीं है ।
तुम अपने पापा से कुछ पैसे मांग लो न ।
क्या वह तुम्हारे लिए इतना भी नहीं करेंगे ?
नहीं, रजनी बोली, इतनी मंहगाई में मैं पापा पर एक पैसे का भी बोझ नहीं दाल सकती ।
मैं अपनी डौल को ऐसे गुड्डे से ही ब्याहूंगी जो एक पैसे भी दहेज न ले, रजनी ने किसी बूढी अम्मा की तरह हाथ हिलाया ।
" तब तो हो चुकी तुम्हारी मैरी की शादी " वीना ने कहा, अच्छा अब मैं चलती हूँ । मुझे आज मम्मी पापा सरकस दिखाने ले जा रहे हैं ।
स्कूल का काम जल्दी निबटाना है । रजनी वही खड़ी रही ।
कुछ देर बाद ट्रक का हार्न सुन कर उस ने चौंक कर देखा । ट्रक बगल वाले घर के दरवाजे पर खड़ा था |
कई दिनों से साथ वाला मकान खाल था । वह दौड़ कर अंदर चली गयी ।
" माँ, माँ "रजनी जोर से चिल्ला रही थी ।
क्या है बेटी ? क्यों चिल्ला रही है ? माँ ने पूछा ।
माँ, हमारे नए पड़ोसी आ गए हैं । मैं जाती हु उन्हें देखने।
माँ भी खुश होकर बोली, अच्छा, उन के घर में कोई गड़बड़ न करना । रजनी बाहर आ गई ।
ट्रक में से समान उतारा जा रहा था । पीछे एक टैक्सी भी खड़ी थी ।
दो बच्चे - एक लड़की, एक लड़का निचे खड़े थे ।
एक वृद्धि महिला को सहारा देती हुई एक सुंदर सी औरत उतार रही थी ।
रजनी को पास खड़ा देख कर वह मुस्कुराई । रजनी भी धीरे से हंसी ।
तुम इस घर में रहती हो ? वृद्धा ने हाथ उठा कर पूछा ।
"हा, जी " रजनी ने कह कर पास खड़ी लड़की को देखा । तभी वह सन्न रह गई ।
वह लड़की अपने हाथों में एक सुंदर गुड्डे को सहला रही थी ।
रजनी ने उत्सुकता से पूछा, "यह तुम्हारा गुड्डा है ?" हां यह मेरा गुड्डा है ।
इस का नाम राजीव और मेरा नाम है नंदिता ।
तुम्हारा नाम क्या है ? उस लड़की ने कहा ।
मेरा नाम रजनी है । मेरे पास भी एक प्यारी सी डौल है, उस का नाम है मैरी ।
नंदिता बोली, पर उसकी तो शादी हो गयी होगी, है न ?
नहीं कोई भी लड़की बिना दहेज के अपने गुड्डे से ब्याह करने के लिए राजी नहीं है । कोई ऐसी लड़की मिलेगी जो अपने गुड्डे के ब्याह में दहेज न ले तो मैं उसी से मैरी का ब्याह करूँगी । मेरे पास इतने पैसे जो नहीं है ।
पास खड़ी वृद्धा और महिला आपस में मुस्कुराई । महिला आगे बढ़ कर बोली, तो बेटी, तुम हमारी नंदिता के गुड्डे से अपनी मैरी की रिस्ता कर दो । इस के गुड्डे की भी शादी नहीं हुई ।
नंदिता ने कहा, पर मम्मी बिना कुछ लिए-दिए ? मेरी सहेलियां क्या कहेंगी ।
मम्मी बोली, तुम भी वही बात सोचोगी ? मान लो तुम्हारी शादी में कोई हमसे पांच लाख रुपए दहेज मांगे और हम न दे सकें तो तुम्हें कुआंरी रहना होगा । तब तुम्हें अच्छा लगेगा ?
"नहीं, मम्मी, " नंदिता ने सिर झुका लिया, मम्मी मैं मैरी से ही अपने राजीव की शादी करूँगी ।
सब लड़कियां अपने नए-नए कपड़ों में सज कर शाम को रजनी के घर आई ।
तभी साथ वाले घर से जोर-जोर से बाजे बजने की आवाज आई ।
नंदिता की सखियाँ फूलों की पालकी में गुड्डे को बैठाए बारात ला रही थी । रजनी बरात की अगवानी के लिए दौड़ी ।
खूब धूमधाम से मैरी और राजीव का ब्याह हुआ । सब लड़कियां चकित थी । बिना दहेज के नंदिता ने अपने इतने प्यारे गुड्डे का रजनी की गुड़िया से ब्याह कर दिया ।
आज रजनी की गुड़िया चली गई थी, परन्तु फिर भी वह खुश थी ।
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि " दहेज लेना और दहेज देना दोनों ही सामाजिक बुराई हैं । इन्हें जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है । "