शाम के लगभग तीन बजे थे । रिंकू अपने घर के पिछवाड़े खड़ी थी । उसे अपनी सहेली नीलम की प्रतीक्षा थी, जो उस के साथ खेलने वाली थी ।
जल्दी ही नीलम आ गई । थोड़ी देर तो दोनों ने कंप्यूटर गेम खेले, फिर दोनों ने निश्चय किया कि डौल का घर बनाया जाए ।
नीलम ने सामान इकट्ठा किया और रिंकू घर में से अपने ढेर सारे खिलौने उठा लाई ।
डौल का घर बनाया जाने लगा । तीन कमरे बनाए गए । उन में से एक ड्राइंग रम था ।
उस में छोटा सा सोफा रख दिया गया । एक मेज पर सुंदर सा गुलदस्ता सजाने के बाद फिर सोने का कमरा बनाया गया ।
गुड़िया को पलंग पर लिटा दिया गया । उस के पास एक अलमारी और कुछ किताबें रख दी गई ।
किचन में ढेर सारे बरतन इधरउधर बिखेर दिए गए । एक महरी सफाई करने के लिए तैनात कर दी गई । घर के मुख्य द्वार पर एक कुत्ता बैठा दिया गया ।
फिर दरवाजे से कुछ दूर सड़क बना कर उस पर इधरउधर मोटरें, बसें, ट्रक था पैदल चलने वाले यात्री खड़े कर दिए गए ।
बस हो गया डौल हाउस तैयार ।
घर बनाने में दोनों सहेलियां इतनी इतनी तल्लीन थी कि उन्हें समय का ध्यान ही नहीं रहा ।
ध्यान उन्होंने तब दिया जब देखा कि पड़ोस के मकान में खड़ी मोना दोनों को घूर रही है ।
शाम ढलने लगी थी । घर में से माँ ने दोनों को नाश्ता करने के लिए आवाज दी । दोनों तुरंत घर में चली गई । मोना तो इसी मौके की तलाश में थी ।
वह पहले भी कई बार रिंकू का डौल हाउस तोड़ चुकी थी ।
उसे जलन होती थी की रिंकू इतना सुंदर डौल हाउस कैसे बना लेती है । नीलम नाश्ता कर के अपने घर चली गई ।
रिंकू जब घर के पिछवाड़े आई तो उस ने देखा कि उस का डौल हाउस टूटा पड़ा है । एकदो खिलौने भी टूटे हुए हैं ।
वह समझ गई कि यह काम सिवा मोना के और किसी का नहीं हो सकता है ।
अपना डौल हाउस टूटने का उसे बहुत दुःख हुआ । उस की आँखों में आंसू आ गए । उस की घंटों की मेहनत को मोना ने एक मिनट में बरबाद कर दिया था । मोना पहले भी कई बार ऐसा कर चुकी थी ।
वह गुस्से में निश्चय किया कि वह मोना से इस का बदला ले कर रहेगी ।
अगले दिन मोना सुबह से ही अपना डौल हाउस बनाने में व्यस्त थी। रिंकू में मोना को डौल हाउस बनाते देखा तो उस ने तय कर लिया कि वह मोना का डौल हाउस तोड़ कर उस से बदला चुका लेगी ।
मोना कई घंटों तक अपना डौल हाउस बनाने में व्यस्त रही ।
उस के पास उतने अच्छे खिलौने नहीं थे, जितने रिंकू के पास थे इसलिए उस का डौल हाउस रिंकू के डौल हाउस के मुकाबले में काम सुंदर था ।
वैसे मोना ने बड़े चाव और लगन से वह घर बनाया था । घर बना चुकने के बाद वह अपने घर चली गई ।
उस के अंदर जाते ही रिंकू चुपके से मोना के घर के अहाते में घुसी और उस का डौल हाउस तोड़ कर तुरंत अपने घर वापस चली आई ।
रिंकू समझ रही थी कि ऐसा करने से उस का कलेजा ठंडा हो जायेगा । लेकिन भला चोरी से किसी की मेहनत बेकार कर देने के बाद किसी को प्रसन्नता हो सकती है ? रिंकू की उलझन इतनी बढ़ गई कि दोपहर को उस से खाना तक नहीं खाया गया । वह मेज पर मम्मी और पाप के साथ खाने बैठी तो एक भी कौर गला से उतारना उस के लिए मुश्किल होने लगा ।
मम्मी ने पूछा, क्या बात है रिंकू ? पर वह चुप रही ।
मम्मी ने सोचा, शायद धूप में देर तक खेलते रहने के कारण रिंकू सुस्त है । वह रिंकू को उस के कमरे में आराम करने के लिए लिटा गई । पर रिंकू तो मोना और उस की डौल हाउस के बारे में सोच रही थी । मोना का डौल हाउस तोड़ कर उसे बहुत ग्लानि थी । वह सोच रही थी, क्या हुआ अगर मोना से मेरी नहीं पटती ? और फिर बुरे के साथ बुरा करने से लाभ ? इसी सोचविचार में रिंकू काफी देर तक करवटें बदलती रही । उधर मम्मी और पाप खाना खाने के बाद अपने कमरे में सो चुके थे । घर में सन्नाटा था ।
रिंकू धीरे से अपने कमरे से निकल कर मोना के घर के अहाते में गई । अभी भी मोना के घर का पिछला दरवाजा बंद था । मोना का उजड़ा डौल हाउस मानो रिंकू को घूर रहा था ।
रिंकू को लगा जैसे डौल हाउस अभी उठ कर कहने वाली है कि मेरा घर तोड़ कर तुम्हें क्या मिला ? रिंकू ने तुरन्त ही डौल को उठा लिया और उस की धूल झाड़ कर बहुत देर तक उसे प्यार करती रही । मोना कभी सोच भी नहीं सकती थी कि रिंकू उस का डौल हाउस उजाड़ सकती है । यह एहसास रिंकू को बहुत शर्मिंदा कर रहा था । रिंकू समझ नहीं पा रही थी कि अपने किए का प्रायश्चित कैसे करे ।
बहुत सोचविचार के बाद रिंकू के दिमाग में एक तरकीब आई । उस ने निश्चय किया कि मोना का डौल हाउस वह अपने खिलौनों से बनाएगी ।
वह तुरन्त अपने घर के पिछवाड़े आई और खिलौने ले कर मोना के घर के अहाते में पहुंच गई । पहले उस ने बड़ा सा अहाता बनाया, ड्राइंग रूम बनाया, सोने कमरा बनाया और फिर किचन । सब कुछ वैसा ही, जैसा पिछले दिन उसने और नीलम ने बनाया था । एक कुत्ता भी घर की रखवाली पर तैनात कर दिया गया ।
रिंकू अपने काम में इतनी व्यस्त थी कि उसे समय का अंदाजा नहीं रहा । यहां तक कि उसे मोना के वहां आने की आहट तक नहीं मिली । जब मोना ने अपने घर का दरवाजा खोला तो देखा कि रिंकू उस के डौल हाउस के पास कुछ कर रही है । यह देख कर मोना को आश्चर्य हुआ । उस का आश्चर्य तब और भी बढ़ गया, जब उस ने देखा कि रिंकू अपने खिलौनों से उस का डौल हाउस बना रही है ।
मोना सोचने लगी कि उसे जब भी मौका मिलता है, तब वह रिंकू का डौल हाउस तोड़ आती है और एक रिंकू है जो अपने ही खिलौनों से उस का डौल हाउस सजा रही है ।
अब मोना को अपने किए पर पछतावा हो रहा था । वह नाहक ही हर किसी से लड़ती रहती है । इसी बीच आहट पा कर रिंकू ने पीछे देखा । इस से पहले कि मोना कुछ कहती, रिंकू ने कहा, "मोना, मुझे माफ कर दो " । दोपहर में मैं ने तुम्हारा डौल हाउस तोड़ दिया था । ऐसा मैं ने तुमसे बदला लेने कि नीयत से किया था, पर तुम्हारा डौल हाउस तोड़ने के बाद मुझे बहुत दुःख हुआ ।
दोपहर भर मैं सोचती रही कि अपने किए का प्रायश्चित कैसे करू । इसलिए मैं तुम्हारा डौल हाउस फिर से बना रही थी । आशा है, तुम मुझ से नाराज नहीं होओगी और मुझे माफ कर दोगी ।
मोना को रिंकू के शब्द भीतर तक चुभे जा रहे थे । उस ने आज तक अपने किए पर पछतावा नहीं किया था । पर रिंकू का व्यवहार उसे मजबूर कर रहा था कि अपनी सब गलतियों को कुबूल कर ले और रिंकू से माफी मांगे । अतः उस ने कहा, "रिंकू, मैं बहुत खराब लड़की हूँ । मैं नाहक तुमसे लड़ती और तुम्हारा डौल हाउस तोड़ती रही हूँ । पर अब मैं विश्वास दिलाती हूँ कि न कभी तुम्हारा डौल हाउस तोडूंगी और न ही तुम से या और किसी से लड़ूंगी । तुम मेरी सहेली बनोगी न ?" रिंकू भला नहीं कैसे कहती ? उस दिन से दोनों में अटूट मित्रता हो गई ।
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि "बुराई अच्छाई से जीती जाती है"