मिनी एक छोटी सी लड़की हैं । वह दूसरी कक्षा में पढ़ती है । दूसरी कक्षा में क्राफ्ट का काम भी होता है ।
मैम कढाई सिलाई भी सीखती हैं । जैसे ही क्राफ्ट का पीरियड लगता, मिनी का मन करता कि वह कक्षा से घर भाग जाए ।
मिनी को कहानी पढ़ना और खेलना अच्छा लगता, पर क्राफ्ट का काम ! बाबा रे ! गत्ता काटो, ऊपर रंगीन चिकनी कागज चिपकाओ, सुई से टांके लगाओ, पर फिर भी जो चीज बने वह मैम की समझ में ही न आए ।
अब फिरकी की ही बात लो । मिनी ने खूब मेहनत से बनाई, पर मैम को किधर से भी वह फिरकी नहीं लगी ।
अब क्या था, मिनी को खूब गुस्सा आया । गोंद तो लग गया हाथ पर, कपड़ों पर, बैग पर और थोड़ा सा मुंह पर भी ।
पहले फिरकी बनाई, फिर माला, फिर माचिसें इकट्ठी कर एक सोफासेट बनाया । इतनी मेहनत कर के बनता कुछ है नहीं और मुसीबत कितनी । इस से तो अच्छा है कि कहानी पढ़ों या खेलो ।
मिनी ने यही किया । मिनी खूब खुश । तभी परीक्षा का समय आ गया । गणित, हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक ज्ञान एवं क्राफ्ट की परीक्षा । अब मिनी क्या करे ?
मम्मी पढ़ाती, पापा पढ़ाते, पर क्या ? वही गणित, हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान ।
मिनी कहती, "मम्मी, माला बनानी है । " तभी मम्मी कहती कि पहले पढ़ लो फिर खेलना । अब क्राफ्ट का काम कोई खेलना तो है नहीं, पर मम्मी की समझ में आये तब न ।
मिनी को घबराहट होने लगी ।
क्या करे, क्या न करे ! पर तभी आ गईं मिनी की मोटी मौसी । वह आती हैं तो मिनी को पढ़ने की छुट्टी ।
उस दिन दोनों ने मिल कर बनाई माला ।
पहले एक सादे कागज की, फिर रंगीन कागज की । एक माला छोटू की । मिनी का भाई है न छोटू ।
वह पढ़ता वढ़ता नहीं । अभी तो वह चलता फिरता भी नहीं । बहुत छोटा है न, सिर्फ बैठता है । इसलिए घटिया वाली माला उसी को ।
अब तो मिनी को बात आसान लगने लगी । झट से सूई में धागा, स्ट्रा पाइप के छोटे-छोटे और रंगीन कागज के गोलगोल टुकड़े काटे ।
फिर एक स्ट्रा पाइप का टुकड़ा और एक रंगीन कागज का गोल टुकड़ा बारीबारी से धागे में पिरोती गई ।
कितनी सुंदर माला तैयार हो जाती है ।
किसी और ने नहीं मिनी ने खुद बनाई है ।
पहले माला, फिर फिरकी, फिर सोफा सेट ।
अगर मिनी ने कक्षा में बैठ कर भी इस को सिखा होता तो जल्दी ही उस की समझ में आ जाता ।
कहानी पढ़ना अच्छा, खेलना अच्छा और क्राफ्ट का काम भी अच्छा ।
अच्छे बच्चे तो सभी काम करते हैं । मिनी तो अच्छी लड़की है, अब वह यह बात जान गई है कि सब काम अच्छे होते हैं और सीखने से सब काम आ जाते हैं ।
तुम भी तो अच्छे बच्चे हो न ?
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि "यदि आप में सीखने की इच्छा और क्षमता है तो कोई भी काम ऐसा नहीं है, जिसे आप सीख न सकें । "