एक बिल्ली को रोटी का एक टुकड़ा दिखाई दिया । वह बहुत भूखी थी, इसलिए जल्दी से उस टुकड़े की ओर दौड़ी ।
इससे पहले कि वह टुकड़े तक पहुँच पाती, एक दूसरी बिल्ली ने भी उस टुकड़े को देख लिया ।
वह टुकड़े के नजदीक ही खड़ी थी ।
इसलिए उसने लपककर रोटी के टुकड़े को उठा लिया ।
इस बात पर दोनों बिल्लियाँ लड़ने लगीं ।
मैंने इसे पहले देखा था, इसलिए यह मेरा है । पहली बिल्ली बोली ।
लेकिन इसे उठाया तो पहले मैंने है न! इसलिए यह मेरा है ।
दूसरी बिल्ली जोर से म्याऊँ कहकर बोली ।
'मेरा है'
'मेरा है'
'नहीं मेरा है'
'नहीं मेरा है'
'मेरा'
'मेरा'
और इस तरह दोनों जोर-जोर से चिल्लाने और झगड़ने लगीं ।
यह शोर छत पर बैठे एक बंदर ने सुना । वह नीचे उतरा और बिल्लियों से बोला, 'बिल्लियो, तुम लड़ों नहीं, मैं तुम्हारी मदद करता हूँ ।'
'कैसे ?'
बंदर बोला , तुम दोनों इस टुकड़े को आधा-आधा बराबर बाँट क्यों नहीं लेतीं ।
यह बात दोनों बिल्लियों को अच्छी लगी ।
लेकिन कौन इस रोटी को बराबर बाँटेगा ?
'यह काम मैं करूँगा ।' बंदर बोला ।
उसने रोटी हाथ में ली और दो हिस्सों में तोड़ दी ।
लेकिन एक टुकड़ा थोड़ा-सा बड़ा और दूसरा थोड़ा-सा छोटा था । बंदर बोला, इन टुकड़ों को बराबर करना ही होगा । नहीं तो तुम दोनों फिर से लड़ने लगोगी ।
यह कहकर उसने बड़े टुकड़े में से एक भाग तोड़कर खा लिया । लेकिन यह क्या ?
अब दूसरा टुकड़ा बड़ा हो गया ।
उसे छोटा करने के लिए उसने इस बार दूसरे टुकड़े में से एक भाग तोड़ा और खा गया ।
अब परेशानी यह हुई कि पहले वाला टुकड़ा बड़ा हो गया । तो उसने अब पहले वाला टुकड़ा लिया और उसमें से थोड़ा-सा खा गया ।
बिल्लियाँ चुपचाप खड़ी देख रही थी और बंदर को कुछ कह भी नहीं पा रही थी ।
देखते-ही देखते बंदर ने एक-एक भाग खाते-खाते सारी रोटी खत्म कर दी और खौं-खौं करते हुए भाग गया ।
और बिल्लियाँ बेचारी क्या करती । उनकी लड़ाई में बंदर ने फायदा जो उठा लिया था ।