दो कुत्ते थे-मोती और हीरा।
मोती भोला-भाला था। लेकिन हीरा ज़रा चालाक था।
दोनों ने एक दिन एक-दूसरे को चुनोती दी कि जो दौड़कर स्कूल तक जाएगा और वापिस आएगा, वह ज़्यादा ताकृतबर होगा।
स्कूल वहाँ से लगभग एक किलोमीटर दूर था।
दोनों ने एक बात और तय की-वह यह कि वे अपनी पीठ पर बराबर आकार का एक-एक थेला रखकर दोडेंगे।
वे दोनों दो छोटी बोरियाँ ले आए और बोरियों को भर लिया।
हीरा ने एक बोरी में ढेर सारी रूई भर ली।
इससे बोरी देखने में बड़ी लगने लगी। लेकिन हल्की ही रही। फिर दूसरी बोरी में उसने नमक भर दिया।
नमक वाली बोरी देखने में छोटी तो थी, लेकिन भारी हो गई थी।
हीरा ने मोती से कहा, ' देखो, ये बोरी कितनी बडी है, यह में उठा लेता हूँ और ये छोटी वाली बोरी तुम ले लो।'
मोती उसकी चालाकी को समझा नहीं।
वह बोला, ' धन्यवाद हीरा, तुम सच में मेरे दोस्त हो।'
दोनों ने अपनी-अपनी बोरी पीठ पर रखी। वे दौड़ शुरू करने बाले ही थे, तभी तेज्ञ वर्षा होने लगी।
मोती की बोरी का नमक पानी में घुलकर बहने लगा।
उसको बोरी धीरे-धीरे हल्की होने लगी।
ओर हीरा की बोरी की रूई गीली होने लगी। पानी सोखने के कारण रूई भारी होने लगी।
आखिर नतीजा यह हुआ कि बोरी बहुत भारी होने के कारण हीरा ठीक से चल ही नहीं पाया।
उसे हार माननी पड़ी और मोती जीत गया।