एक धनी व्यक्ति के घर में एक नोकरानी काम करती थी।
उसकी पाँच वर्ष की एक सुंदर बेटी थी।
अमीर व्यक्ति का एक बेटा था।
वह सात वर्ष का था।
अमीर व्यक्ति अपनी नौकरानी को बहुत भला-बुरा कहता था।
उसकी बेटी को वह हर समय डाँटता रहता था।
यदि वह कभी उसके बेटे के खिलोने छू भी ले तो वह बहुत चिल्लाता था।
एक रात नौकरानी थककर सोई हुई थी।
उसने एक सुंदर सपना देखा।
उसने देखा कि दो देवदूत आकर उसे और उसकी बेटी को अपने साथ ले गए।
वे लोग एक बहुत ही सुंदर जगह पहुँचे। वहाँ चारों ओर सब खुश थे।
नौकरानी अपने मालिक की सेवा बहुत प्यार से करती थी।
लेकिन उसका मालिक उससे फिर भी खुश नहीं रहता था।
इसलिए देवताओं ने खुश होकर उसे अपने पास बुलाया था, जिससे कि वह उनके बच्चों की प्यार से देखभाल कर सके।
नौकरानी बहुत खुश थी।
तभी उसकी नींद खुल गई।
उसने देखा कि वह सचमुच बादलों के ऊपर एक सुंदर दुनिया में पहुँच गई है।
उसकी बेटी भी उसके साथ थी।
नौकरानी तीन दिनों तक वहाँ रही।
तीन दिन तक उसने देवताओं की सेवा की और उनके बच्चों की देखभाल की।
समय कैसे बीत गया उसे पता ही नहीं चला।
तीन दिन बाद उसे वापिस उसके अमीर मालिक के यहाँ पहुँचा दिया गया।
नौकरानी ने देखा कि उन तीन दिनों में वहाँ सब कुछ बदल गया था।
उसके मालिक बूढ़े हो गए थे, और मालिक का छोटा-सा बेटा बड़ा हो गया था।
नौकरानी ने अपनी बेटी को ध्यान से देखा। वह भी बड़ी हो गई थी।
तभी उसकी निगाह सामने लगे हुए दर्पण पर पड़ी।
उसने देखा कि वह भी बूढ़ी हो गई थी।
असल में देवताओं के साथ बीता हुआ हर दिन धरती पर बीते हुए पाँच वर्षों के बराबर था।
नौकरानी पंद्रह वर्षो के बाद धरती पर वापिस आई थी।
लेकिन इन पंद्रह वर्षों ने धनी मालिक को पूरी तरह बदल दिया था।
देवताओं के साथ रहकर आई नौकरानी का उसके मालिक ने स्वागत किया।
उसकी सुंदर लड़की और मालिक के लड़के का धूमधाम से विवाह करा दिया गया।