कमल एक बुद्धिमान युवक था।
एक बार वह कहीं जा रहा था।
रात होने वाली थी।
वह तेज़ी से चलकर जा रहा था।
तभी उसने एक हल्की-सी आवाज्ञ सुनी। कोई कह रहा था-'“बचाओ, बचाओ, मुझे बाहर निकालो।'
कमल ने इधर-उधर देखा।
उसे कोई दिखाई नहीं दिया।
वह आगे जाने लगा।
तभी वही आवाज़ फिर आई।
कमल ने ध्यान से देखा तो उसे पेड़ के नीचे एक बोतल पड़ी हुई दिखाई दी।
उसे लगा कि आवाज़ बोतल के अंदर से आ रही है।
कमल ने बोतल को उठाकर देखा।
उसके अंदर उसे एक छोटा-सा चेहरा दिखाई दिया।
अंदर कोई बंद था और चिल्ला रहा था-'बचाओ-बचाओ, मुझे यहाँ से बाहर निकालो।'
कमल ने बोतल का ढक्कन खोल दिया। अचानक अंदर से ढेर सारा धुँआ निकला और साथ ही वह व्यक्ति भी।
बाहर निकलते ही उसका आकार बहुत बड़ा हो गया।
उसने कमल से कहा, 'मैं एक जिन्न हूँ। एक दुष्ट जादूगर ने उसे इस बोतल में बंद कर दिया था। अब मैं आज़ाद हो गया हूँ। मुझे बहुत भूख लगी है। अब मैं तुम्हें खाऊँगा।'
यह सुनकर कमल थोड़ा घबराया। लेकिन उसने जिन्न को पता नहीं लगने दिया कि उसे डर लग रहा है। उसने जिन्न से कहा, “तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते। ज़रा अपना आकार तो देखो। और यह बोतल देखो। तुम इतने बडे होकर इस बोतल के अंदर भला कैसे आ सकते हो। तुम झूठ बोल रहे हो।
यह सुनकर जिन्न को गुस्सा आ गया। वह बोला, 'जिनन कभी झूठ नहीं बोलते। तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है न, ठीक है में तुम्हें दिखाता हूँ कि मैं इस बोतल के अंदर जा सकता हूँ।'
ऐसा कहकर उसने अपना आकार छोटा किया ओर धुँआ बनकर बोतल के अंदर चला गया।
कमल तो यही चाहता था। उसने झट से बोतल का ढक््कन वापिस लगा दिया।
फिर कमल उस जिन्न से बोला-“मैं जान गया हूँ कि जिन्न झूठ नहीं बोलते, लेकिन थोडे बेवकूफ ज़रूर होते हैं। अब तुम यहीं रहो, इसी बोतल के अंदर।
कमल ने वह बोतल एक पत्थर से बाँधी और समुद्र में फेंक दी। भारी पत्थर से बँधी होने के कारण बोतल पानी में डूब गई और साथ ही जिन्न भी।
एक बात तो तुम समझ गए होगे कि मुसीबत के समय घबराने से कुछ हल नहीं होता। इसलिए अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए, जैसे कमल ने किया।