एक बडे से घर में पार्टी चल रही थी।
चारों ओर सुंदर सजावट थी।
कौमती बर्तन सजे हुए थे और बढ़िया और स्वादिष्ट खाना मेज़ों पर रखा हुआ था।
मनु को भी उस पार्टी में बुलाया गया था।
जब मनु घर के अंदर आ रहा था तो उसने देखा कि बाहर दो छोटे-छोटे बच्चे खड़े थे।
वे बहुत ही ललचाई नज़रों से अंदर रखे खाने को देख रहे थे, उनको देखते ही पता चलता था कि उन्होंने काफी देर से कुछ खाया नहीं था।
बहुत भूखे थे बेचारे। मनु ने अंदर जाकर देखा कि लोग खाने की प्लेटों में ढेर सारी चीज़ें ले लेते थे।
फिर उसमें से आधा खाते थे और आधा फेंक देते थे।
मनु को यह सब अच्छा नहीं लगा।
वह एक दयालु और समझदार व्यक्ति था। उसने तय किया कि वह उन बच्चों की मदद करेगा।
मनु ने चुपके से दो रोटियाँ अपनी जेब में रख लीं।
फिर उसने ताली बजाकर सबको पास बुलाया और घोषणा की, "मैं आपको एक जादू दिखाना चाहता हूँ।'
यह कहकर उसने उन दोनों बच्चों को अंदर बुलाया।
फिर उसने दो रोटियाँ और उठाईं और बोला, “देखिए ये दो रोटियाँ मैं इन दोनों बच्चों की जेबों में रख दूँगा।
एक रोटी एक की जेब में और दूसरी रोटी दूसरे के जेब में और बाद में ये रोटियाँ मेरी जेब में से निकलेंगी।'
सब ताली बजाने लगे। सबकी निगाहें बच्चों पर थीं।
मनु ने रोटियाँ बच्चों की जेबों में रख दीं।
फिर उसने एक मंत्र पढ़ने का नाटक किया।
इसके बाद उसने अपनी जेब में हाथ डाला और रोटियाँ निकालकर सबको दिखाईं। सारे मेहमान हैरत में पड़ गए। सबने मनु के जादू की तारीफ को।
मनु बोला, ' धन्यवाद, अब यदि आप कहें तो ये दो रोटियाँ मैं इन्हीं दोनों बच्चों को दे देता हूँ।
हाँ-हाँ, क्यों नहीं।' सबने कहा।
मनु ने रोटियाँ बच्चों को दे दीं।
बच्चे रोटियाँ खाते हुए खुशी-खुशी बाहर चले गए।
वे भी जादू को सच मान रहे थे।
जब उन्होंने अपनी जेबों में हाथ डाला तब उनको. एक-एक रोटी और मिल गई।
अब यह जादू कैसे हुआ और ये रोटियाँ उनकी जेबों में केसे आईं, यह बात वो बिल्कुल समझ नहीं पाए।
मनु का जादू तुम्हें समझ में आया क्या ?