स्वर्ग के स्टूल

Child Story In Hindi - Bal Kahani

एक दुकानदार मृत्यु के बाद स्वर्ग के दरवाज़े पर पहुँचा।

उसने अपने जीवन में दूसरों को बहुत ठगा था।

जितनी बेईमानी वह कर सकता था, वह सब उसने की थी।

लोगों से ज़्यादा पैसे ले लेना और सामान कम तोलकर देना उसकी आदत थी।

इसलिए स्वर्ग के द्वार पर जो देवदूत खडे थे उन्होंने दुकानदार को अंदर जाने से रोका।

ऐसा कहा जाता है कि 'स्वर्ग' और 'नर्क' ये दो ऐसे स्थान हैं, जहाँ मृत्यु के बाद व्यक्ति को जाना पड़ता है।

जो व्यक्ति अच्छे काम करते हैं और किसी का बुरा नहीं चाहते उन्हें स्वर्ग मिलता है।

लेकिन जो लोग बुरे काम करते हैं, दूसरों को सताते हैं उन्हें नर्क में रहना पड़ता है।

यह भी कहा जाता है कि स्वर्ग में रहने वालों को हर तरह का आराम और ज़रूरत की सभी चीज़ें मिलती हैं।

लेकिन नर्क में रहने वालों को अपने सभी बुरे कामों की सज़ा वहाँ मिलती है।

इसीलिए धरती पर रहने वाले सभी मनुष्य स्वर्ग में ही जाना चाहते हैं।

लेकिन दुकानदार ने कहा, 'बह बहुत दुखी है और अब वह कभी भी बुरे काम नहीं करेगा।'

उसने किसी तरह देवदूत को विश्वास दिला दिया कि वह अब बदल गया है।

इस तरह उसे स्वर्ग में रनने की जगह मिल गई।

दुकानदार हर समय यह बात सिद्ध करने की कोशिश करता रहता था कि वह सुधर गया है।

वह बताना चाहता था कि उसे सही और गृलत की पहचान हे, इसलिए वह दूसरों की छोटी-छोटी गृलतियाँ निकालता रहता था।

एक बार वह बादलों के ऊपर से धरती की ओर देख रहा था।

उसने देखा कि एक छोटा बच्चा सेब के एक पेड़ से सेब चुरा रहा है।

उसे यह देखकर बहुत गुस्सा आया।

वह बोला-“चोरी करना बुरी बात है लड़के!” और ऐसा कहकर उसने पास में रखा हुआ एक स्टूल उठाया और गुस्से में नीचे फेंकने लगा।

वहीं एक देवदूत खड़ा हुआ था। उसने यह देखा तो दौड़कर गया और स्टूल पकड़ लिया।

उसने दुकानदार से कहा-'ज़रा सोचो, अगर हम हर गलती करनेवाले पर गुस्सा करके ऐसे ही स्टूल फेंककर मारते तो क्‍या होता।

तुम तो पूरी ज़िंदगी स्टूलों की मार ही खाते रहते।

इस तरह तो यहाँ स्वर्ग में रखे हुए सारे स्टूल ख़त्म हो जाते और हम सबको हमेशा खड़ा रहना पड़ता।

फिर कौन आना चाहता स्वर्ग में! इसलिए अपने गुस्से पर काबू करना सीखो, समझे!