एक शक्तिशाली राजा का एक ही बेटा था।
उसका नाम था राजकुमार चंदन। चंदन बहुत ही सीधा-सादा था।
महाराज चाहते थे कि वह चतुर और तीव्रबुद्धि हो जाए।
उन्होंने दूर-दूर से विद्वानों को बुलाया।
उन सब विद्वानों ने राजकुमार को महीनों तक शिक्षा दी।
धीरे-धीरे राजकुमार चंदन सब सीख गया। उसने सभी तरह के प्रश्नों के उत्तर याद कर लिए।
तब महाराज ने एक बुद्धिमान व्यक्ति आदर्श को बुलाया, जो चंदन की परीक्षा ले सके।
आदर्श ने चंदन से बहुत से प्रश्न पूछे। चंदन ने सभी प्रश्नों का उत्तर ठीक दिया। महाराज बहुत प्रसन्न हुए।
आदर्श ने राजा से कहा, “महाराज, राजकुमार चंदन को भूतकाल की सभी बातों का अच्छा ज्ञान हो गया है।
अभी तक जो कुछ हो चुका है, वह राजकुमार जान गए हैं। लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति को भविष्य का ज्ञान होना भी ज़रूरी है।'
राजा ने एक विद्वान ज्योतिषी को राजमहल में बुलाया। उन्होंने राजकुमार चंदन को भविष्य जानने की कला सिखाई।
उन्होंने चंदन कोसिखाया कि कैसे एकाग्रचित्त होकर ध्यान लगाया जाता हे।
कैसे एक अनजान वस्तु के बारे में पता लगाया जाता है।
इसी तरह कई महीने बीत गए।
जब ज्योतिषी ने सभी बातें राजकुमार चंदन को सिखा दीं, तब राजा ने आदर्श को फिर बुलाया। आदर्श से कहा गया कि वह चंदन की एक बार फिर परीक्षा ल।
आदर्श ने अपनी मुट्ठी में एक वस्तु रखी।
उन्होंने सभी दरबारियों को एक-एक करके अपनी मुट्ठी खोलकर दिखाई कि उसमें क्या हैं महाराज ने भी देखा कि आदर्श ने मुट्ठी में क्या रखा है।
अंत में आदर्श राजकुमार चंदन के पास आए और बोले, “राजकुमार, अब आप अपनी विद्या का प्रयोग करके बताएँ कि मेरी मुट्ठी में क्या है ?'
चंदन ने एकाग्रचित्त होकर ध्यान लगाया।
बहुत सोचने के बाद वह बोला, ' आपकी मुट्ठी में जो वस्तु है वह कठोर है और गोल भी है।'
आदर्श ने कहा, 'बिल्कुल ठीक।' सुनकर महाराज प्रसन्न हुए।
राजकुमार फिर बोला, “यह वस्तु सफेद रंग की है और इसके बीचोंबीच एक छेद है।
' आदर्श खुश होकर बोले, 'ठीक कहा राजकुमार, अब आप इस वस्तु का नाम बताएँ।'
राजकुमार ने कहा, “मैं समझ गया कि यह वस्तु कौन-सी हे। आपकी मुट्ठी में चक्की का पाट है।'
जैसे ही दरबारियों ने यह सुना वे अपनी हँसी रोक नहीं पाए। यह उत्तर सुनकर महाराज को बड़ी निराशा हुई।
इतना बड़ा चक्की का पाट किसी की मुट्ठी में भला कैसे आ सकता था!
राजकुमार ने जो कुछ सीखा था, उसे इस्तेमाल तो किया लेकिन उसके साथ अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं किया।
तब आदर्श ने अपनी मुट्ठी खोलकर राजकुमार को दिखाई और उनकी मुट्ठी में निकला एक सफेद मोती।
आदर्श ने महाराज से कहा, “महाराज, केवल शिक्षा पाना या सीखना ही काफी नहीं है।
उसे प्रयोग में लाने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना भी बहुत ज़रूरी है।
एक बुद्धिमान व्यक्ति के पास शिक्षा और समझ दोनों होनी चाहिए।'