राजवन में राजू बंदर की शरारतों से सभी जानवर परेशान थे।
वह आए दिन सबके साथ शरारत करता था।
जंगल के सभी जानवर उसे समझाते, फिर भी वह किसी की बात नहीं सुनता था।
एक बार स्कूल में हिन्दी के टीचर ने राजू को जोरदार डांट लगाई।
लेकिन उसने उनका भी मजाक उड़ाया।
राजू ने दूसरे दिन उनकी कुर्सी पर खुजली की पत्ती रख दी, जिससे पूरे शरीर में उनको खुजली होने लगी।
राजू सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि घर के पड़ोसियों को भी परेशान करता था।
वह पड़ोसी की भैंसों को भी तंग करता।
एक दिन तो उसने भैंस की पूंछ के सारे बाल कुतर डाले। एक बार स्कूल से घर जाते समय उसे लंबा जिराफ मिला।
जिराफ लंगड़ा कर चलता था। राजू उसे लंगडू-लंगड़ू कहकर चिढ़ाता था।
जिराफ समझाने के लिए उसके पास जा रहा था, लेकिन राजू ने सोचा शायद जिराफ उसकी पिटाई के लिए आ रहा है।
उसने झट से सड़क की ओर छलांग लगा दी। सड़क पर छलांग लगाते समय राजू कार की चपेट में आ गया।
जंगल के सभी जानवर वहां पर आ गए। राजू को देखने के लिए जिराफ भी वहां पर पहुंच गया।
राजू की हालत देखकर जिराफ को बहुत दुख हुआ। उसने सड़क से जा रहे चालक से निवेदन किया कि वह राजू को अस्पताल तक पहुंचा दे।
राजू के साथ ही जिराफ भी अस्पताल गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि राजू की हडडी टूट गई है और वह काफी गंभीर है।
डॉक्टरों ने बोला राजू का ऑपरेशन करना पडे़गा। दयालु जिराफ ने ऑपरेशन के लिए अपना खून दिया और भगवान से प्रार्थना की कि राजू जल्द से ठीक हो जाए।
जिराफ ने राजू के घर पर भी खबर दी। थोड़ी ही देर में राजू के माता-पिता भी वहां पहुंच गए थे।
राजू को रात तक होश आया। सबके साथ जिराफ को देखकर वह डर गया।
इतने में डॉक्टरों ने उसके पिता को बताया कि आज जिराफ नहीं होता तो राजू का बचना मुश्किल था।
डॉक्टरों की बात सुन शरारती राजू की आंखों में आंसू आ गए।
राजू ने जिराफ से माफी मांगी और निश्चय किया कि अब आगे से वह किसी को परेशान नहीं करेगा।