एक झूठा बंदर

एक बार एक समुद्री जहाज पर कुछ व्यापारी व्यापर करने के लिए किसी दूसरे देश जा रहे थे।

एक व्यापारी के साथ उसका पालतू बंदर भी था।

वह उस बंदर को हमेशा अपने साथ रखता था।

समुद्री यात्रा के दौरान अचानक ही एक बहुत भयंकर तूफ़ान आया।

उस तूफ़ान में जहाज पलट गया और समुद्र में समाने लगा।

सभी यात्री डूब रहे थे। बंदर ने भी बचने की सभी उम्मीदें छोड़ दी थीं।

वह डूब ही रहा था कि अचानक एक डोल्फिन उसके पास आई और उसे पीठ पर बिठा कर एक द्वीप पर ले गयी।

द्वीप पर पहुँचते ही बंदर डॉलफिन का शुक्रिया अदा करने लगा।

डॉलफिन वापस जाने ही वाली थी कि अचानक वापस मुड़ी और बंदर से पूछने लगी,

“क्या तुम इस द्वीप के बारे में जानते हो ?”

बंदर ने तुरंत जवाब दिया,

“हाँ बिलकुल! यहाँ का राजा मेरा बहुत अच्छा दोस्त है।

और क्या तुम जानते हो मैं भी एक राजकुमार हूँ ?” इतना सुनने की ही देर थी कि डॉलफिन मुड़ते हुए बोली,

“तो राजकुमार जी अब आप यहाँ के राजा भी बन सकते हैं।”

“क्या मतलब ?”

जाते हुए डॉलफिन से बंदर ने हैरान होकर पूछा।

जिसका जवाब डॉलफिन ने ये दिया,

“अभी तक इस द्वीप पर कोई नहीं रहता था।

अब तुम आ गए हो तो तुम ही यहाँ के राजा हो और साथ में एक झूठे भी।

अलविदा।”

इसके साथ ही डॉलफिन समुद्र में कहीं खो गयी और बंदर अपनी किस्मत को को सने लगा कि जिसने उसकी जान बचाई उसने उसी से झूठ बोला।

वह बच तो गया लेकिन अपने मरने तक उस द्वीप पर अकेला ही रहा। उसे झूठ बोलने का परिणाम मिल चुका था।