एक छोटे से शहर में एक किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था।
उनके पास बहुत थोडी-सी जमीन थी।
वे उस पर खेती करके फसल को बाजार में बेचते थे।
इससे उन्हें थोडे-से पैसे मिलते थे।
एक बार वे दोनों दीपावली पर घर की सफाई कर रहे थे।
तभी उनको लकड़ी के एक पुराने डिब्बे के पीछे से चाँदी का एक सिक्का मिला। वे दोनों बहुत खुश हुए।
उन्होंने उससे अच्छे बीज और खाद खरीदी। इस बार उनके यहाँ बहुत अच्छी फसल दुई।
अगली दीपावली पर वे फिर सफाई कर रहे थे।
तब उन्हें एक और चाँदी का सिक्का मिला। इस बार उन्होंने दो बैल खरीदे, जिससे कि खेत जोतने में आसानी हो।
बैलों के साथ काम जल्दी और अच्छा हो जाता था। इस बार फसल पहले से भी ज्यादा अच्छी हुई।
अब उनके पास काफी पैसे हो गए थे। दीपावली फिर आई।
एक बार फिर सफाई करते समय उनको चाँदी का एक सिक्का मिला।
इस बार उन्होंने तय किया कि एक बकरी खरीदी जाए।
सिक्के से उन्होंने एक अच्छी-सी बकरी खरीदी जो कि बढ़िया दूध देती थी।
अब वे खुशी-खुशी रहते थे। खेती अच्छी होती थी।
धीरे-धीरे उन्होंने कुछ और जमीन भी खरीद ली थी। उनके पास बेल थे खेत जोतने के लिए। अब बकरी भी थी जो दूध देती थी।
दीपावली फिर आई। सफाई करते समय एक बार फिर उन्हें चाँदी का एक और सिक्का मिला।
इस बार उन्होंने उस सिक्के से एक बिल्ली खरीदी। एक सुंदर-सी सफेद बिल्ली।
किसान की पत्नी बिल्ली को बहुत प्यार करती थे और रोज उसे दूध पिलाती थी। बिल्ली झट-से सारा दूध पी जाती थी।
इसी तरह एक साल और निकल गया। दीपावली फिर से आ गई।
एक बार फिर उन दोनों ने सफाई की और उन्हें फिर मिला चाँदी का एक सिक्का। उनके पास अब बहुत-से पैसे थे।
किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। उनका एक सुंदर घर था, उनके पास बैल थे, एक बकरी थी, एक सुंदर बिल्ली भी थी।
उन्होंने निश्चय किया कि इस सिक्के से वे अपने घर के बगीचे में काँच का एक पुल बनाएँगे।
इससे उनका घर और भी सुंदर दिखाई देगा। उन्होंने काँच का एक छोटा-सा पुल अपने घर के आगे बनवाया।
अब वे ये देखना चाहते थे कि पुल मजबूत है या नहीं।
इसलिए उन्होंने खुद पुल पर चढ़ने से पहले बाकी सबको पुल के ऊपर से जाने को कहा।
पहले बैल चढ़ा, पुल नहीं टूटा।
फिर बकरी पुल के ऊपर से गई। पुल नहीं टूटा।
लेकिन जैसे ही बिल्ली पुल पर चढ़ी, पुल टूट गया।
पता है क्यों ? क्योंकि वह रोज खुशी-खुशी दूध पीती थी। और जो रोज दूध पीते हैं, वो सबसे ज्यादा ताकतवर होते हैं-सबसे ज्यादा मजबूत!