एक थी चिडिया और एक था चिरोंटा।
चिडिया या का घोंसला एक पेड की ऊँची-सी डाल पर था।
चिरोंटे का घोंसला पास के एक पेड पर था।
चिडिया का घोंसला था घास-फूस और तिनकों का और चिरोंटे का घोंसला नमक का था।
एक बार चिड़िया को दाल और चावल के कुछ दाने मिले।
उसने सोचा कि दाल और चावल के दानों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाए। जब वह खिचड़ी बनाने लगी तो उसने देखा कि नमक तो है ही नहीं।
उसे पता था कि चिरोंटे का घोंसला नमक का है।
वह फुर्र से उड़कर चिरौंटे के घोंसले में पहुँची और बोली- 'चिरोंटे, मेरे पास खिचड़ी पकाने के लिए नमक नहीं है। क्या तुम मुझे थोड़ा-सा नमक दे दोगे ?'
चिरौंटा बोला, 'भाग जा चिडिया। मैं नहीं दूँगा अपना नमक।' बेचारी चिडिया चुपचाप अपने घर आ गई।
उसने बिना नमक की खिचड़ी खा ली।
कुछ दिनों बाद बहुत तेज बारिश हुई। चिडिया अपने घोंसले में छिप गई। लेकिन चिरोंटे का घर तो नमक का था।
वह बारिश में बह गया और वह पूरा भीग गया।
तब वह चिडिया के पास पहुँचा और बोला, 'चिडिया, मेरा घर बारिश में टूट गया है। क्या में तुम्हारे घर के अंदर आ जाऊँ ?
' चिडिया को ध्यान आया कि केसे चिरोंटे ने उसे थोडा-सा नमक देने से मना कर दिया था।
लेकिन चिडिया बहुत अच्छी थी। उसे चिरोंटे पर दया आ गई और उसने चिरोौंटे को अंदर आने दिया।
इसके बाद चिड़िया और चिरोंटा बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वे साथ-साथ खेलते थे।
एक बार चिडिया ने चिरोंटे से कहा कि मेरा झूला झूलने का मन कर रहा है। तुम कुएँ पर झूला डाल दो।
चिरोंटे ने मना किया लेकिन चिड़िया नहीं मानी। वह तेजी से झूला झूल रही थी।
अचानक उसका पैर फिसला और वह छपाक् से कुएँ के पानी में गिर 'गई।
उसके पंख गीले हो गए थे इसलिए वह उड़ भी नहीं पा रही थी। वह मदद के लिए चिल्लाने लगी। चिरोंटा भी घबरा गया।
तभी उसने पास में बैठी एक बिल्ली को देखा। वह बिल्ली से बोला, 'बिल्ली मौसी, मेरी दोस्त चिड़िया कुएँ में गिर गई है, क्या आप उसे बाहर निकला देंगी ?
बिल्ली को लालच आ गया और बोली, 'हाँ-हाँ, क्यों नहीं।
अभी निकाल देती हूँ।' बिल्ली धीरे-से कुएँ में उतरी और चिडिया को निकाल लाई।
चिडिया को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया और वह बोली, 'अब मैं इसे खाऊँगी।'
चिरोंट बोला, “बिल्ली मौसी, अभी तो ये गीली है, आपको खाने में मजा भी नहीं आएगा।
आप इसे सूख जाने दो, फिर आराम से खाना।
बिल्ली को चिरोंटे की बात सही लगी और उसने चिड़िया को धूप में रख दिया, सूखने के लिए।
जेसे ही चिड़िया सूख गई, उसके पंख खुलने लगे। वह फुर्र से उड़ गई।
साथ ही चिरोंटा भी उड़ गया और बिल्ली उन्हें देखती रह गई। लालच करने से ऐसा ही होता है।