एक छोटी बच्ची थी स्वीटी।
यूँ तो देखने में एकदम गोल-मटोल थी, लेकिन वह हमेशा बीमार रहती थी। बीमार भी वह अचानक ही पड जाती थी।
एक बार स्वीटी के हाथ में इतना ज्यादा दर्द हुआ कि उस पर पट्टी बाँधनी पड़ी।
ऐसा अँग्रेजी के टेस्ट के ठीक पहले हुआ। उसकी अध्यापिका ने पूछा, 'दर्द बहुत ज्यादा है ?
बिल्कुल भी नहीं लिख सकती ?'
“नहीं टीचर, बिलकुल नहीं' स्वीटी बोली।
टीचर को उस पर तरस आ गया और बोलीं, “कोई बात नहीं बेटी, मैं बाद में तुम्हारा टैस्ट ले लूँगी।'
कुछ दिन बाद स्वीटी गले पर पट्टी बाँधकर आई।
टीचर ने उससे पूछा, 'गला दर्द कर रहा है क्या ?'
'हाँ, बहुत ज़्यादा' स्वीटी फुसफुसाकर बोली।
'ओ हो मैं तो आज गाने की परीक्षा लेनेवाली थी' टीचर ने कहा।
लेकिन बेचारी स्वीटी की तो ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। वह कैसे गा सकती थी।
कुछ दिन बीते और एक दिन स्वीटी पैर पर पट्टी बाँधकर स्कूल आई। बेचारी स्वीटी ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
और मजे कौ बात यह थी कि उसी दिन स्कूल में खेलकूद की प्रतियोगिताएँ थीं। सभी बच्चे भाग-दौड़ रहे थे और बेचारी स्वीटी एक ओर चुपचाप बैठी थी, उदास।
तब टीचर ने उसे बुलाया और पूछा, 'स्वीटी तुम्हारी आँखों में तो दर्द नहीं हो रहा है ना ?'
'नहीं टीचर, अभी तक नहीं हुआ', स्वीटी बोली।
' अगर होगा न, तो आँखों पर भी पट्टी बाँध लेना। सब बच्चे जान जाएँगे कि तुम्हें अपने झूठ बोलने पर शर्म आने लगी हे।' टीचर ने कहा।
स्वीटी को अपनी गलती पर बहुत शर्म आई। उस दिन के बाद स्वीटी को फिर कभी दर्द के कारण पट्टी नहीं बाँधनी पडी।