रवि और कुणाल बहुत अच्छे मित्र थे।
दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे।
उनके घर भी पास-पास थे इसलिए साथ खेलते थे, साथ ही होमवर्क भी करते थे।
दूसरे सभी बच्चे जानते थे कि खेलने के लिए यदि आएँगे तो दोनों साथ-साथ आएँगे।
किसी बात पर कभी लड़ाई हो भी जाए तो भी वह ज्यादा देर नहीं टिक पाती थी। जल्दी ही दोनों फिर हँसकर साथ-साथ खेलने लगते थे।
एक बार दोनों दोस्त क्लास के साथ पिकनिक पर गए।
सभी बच्चे मैदान में खेल रहे थे।
रवि और कुणाल घूमकर बातें कर रहे थे। बातें करते-करते उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वे बहुत दूर आ गए। चलते-चलते वे पास के एक जंगल में पहुँच गए थे।
जब उन्हें इस बात का आभास हुआ तो वे बहुत डर गए।
वे वापिस जाने के लिए जैसे ही घूमे। सामने से एक भालू आता दिखाई दिया।
अब तो डर के मारे दोनों की जान ही निकल गई। क्या करें, क्या करें ?
ये सोचते-सोचते दिमाग ने काम करना बंद-सा कर दिया।
भालू पास आता जा रहा था। रवि ने कुणाल से कहा कि चल पेडु पर चढ़कर छिप जाते हैं। लेकिन पेड ऊँचा था।
कुणाल बोला, “में नीचे बैठता हूँ, तू मेरे कंधे पर पैर रखकर ऊपर चढ़ जा। और फिर मुझे ऊपर खींच लेना।'
सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं था। कुणाल नीचे झुका और रवि उसके कंधे पर पैर रखकर जल्दी से ऊपर चढ़ गया। उसने कुणाल को आवाज दी-
' आजा कुणाल, अपना हाथ दे।'
लेकिन इतना समय नहीं बचा था कि कुणाल भी ऊपर चढ़ पाता।
यदि मुझे ऊपर चढ़ते हुए भालू ने देख लिया तो मेरे साथ-साथ रवि भी नहीं बच पाएगा। उसने मन में सोचा।
उसने बस इतना ही कहा, 'तू छिप जा रवि।'
और खुद जमीन पर लेट गया। जैसे ही भालू उस तक पहुँचा उसने थोड़ी देर के लिए अपनी साँस रोक ली।
स्कूल में योग-आसन की कक्षा में उनको यह सिखाया गया था कि कुछ देर के लिए साँस को रोककर किस प्रकार लेटा जा सकता है।
रवि बेहद घबरा रहा था। उसे कुणाल की बहुत चिता हो रही थी।
कैसे बचेगा उसका सबसे प्यारा दोस्त। यह बात सोचकर उसे रोना आ रहा था। लेकिन उसने अपने-आपको सँभाला और चुपचाप बैठ गया।
भालू जब कुणाल के पास पहुँचा तो उसने कुणाल को हर ओर से सूँघकर देखा।
स्कूल में सीखा हुआ योगासन काम आ गया और भालू को विश्वास हो गया कि कुणाल जीवित नहीं है।
भालू कभी भी मरे हुए प्राणियों को नहीं ले जाते, यह बात कुणाल को पता थी और वही हुआ।
कुछ देर तक सूँघने के बाद भालू वापिस चला गया।
जब कुणाल को विश्वास हो गया कि भालू दूर चला गया है, तब उसने धीरे-धीरे साँस ली और उठा।
रवि पेड पर आँखें बंद करके बैठा था और ईश्वर से कुणाल के लिए प्रार्थना कर रहा था।
अपनी सूझ-बूझ और आपसी प्यार से दोनों दोस्त बच गए थे।
दोनों गले लगे और वापिस पिकनिक के मैदान की ओर चल. पडे।
उन्होंने निश्वय किया कि अब कभी भी इतनी बातें नहीं करेंगे कि समय और जगह का ध्यान न रहे।