सेब का पेड

नाना नानी की कहानियाँ

एक किसान के खेत में सेब का एक पुराना पेड़ था।

एक समय था जब उस पर बडे-बडे, लाल, रसीले सेब लगते थे।

लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था। उस पर फल नहीं आते थे।

हाँ, उसको बड़ी-बड़ी मजबूत शाखाओं पर बहुत सारे पक्षियों के घोंसले जरूर थे।

साथ ही उसकी जड़ों के आसपास की जमीन पर बहुत-सी चींटियों के घर थे।

उसकी पत्तियों पर कितनी ही तितलियों के लारवा बडे होकर सुंदर, रंगबिरंगी तितलियों में बदल जाते थे।

इन सब कीडे-मकौडों और पक्षियों की दुनिया इस पेड पर ही बसी थी।

किसान सोचता था कि यह पेड बेकार ही उसके खेत में खड़ा है।

जमीन का वह टुकड़ा, जिस पर पेड खड़ा था, किसी काम भी नहीं आ रहा था।

उसे सबसे बढिया उपाय यही दिखाई दिया कि सेब के पुराने पेडु को काटकर उसकी लकडी को बेच दिया जाए। खेत में जगह भी

बन जाएगी और कुछ पैसे भी मिल जाएँगे।

यह सोचकर किसान ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और सुबह सुबह ' खेत की ओर चल दिया।

सेब के पेड के पास पहुँचकर पहले उसने तय किया कि कहाँ से पेड़ को काटना शुरू किया जाए।

फिर उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और जोर से पेड़ के तने पर प्रहार किया।

पेड़ पर रहने वाले सभी पक्षियों के घोंसले अचानक जोर से हिले।

जमीन में रहने वाली चींटियाँ भी काँप गईं।

सभी तेजी से बाहर निकले। वे किसान के पास आकर विनती करने लगे, 'किसान भाई, इस पेड़ को मत काटो, यह हमारा घर है।

' चिडियाँ बोलीं, 'इस पेड़ की छाया में हमारी दुनिया है।

मत काटो इसे। हमारी प्रार्थना सुन लो भाई।' कहते कहते चिडियों की आँखों में आँसू आ गए।

लेकिन किसान पर कोई असर नहीं हुआ। वह और भी जोर से प्रहार करने लगा। वह दोपहर होने से पहले काम खत्म कर देना चाहता था।

पक्षी, तितलियाँ, चींटियाँ सब मिलकर अपने घरों को टूटता हुआ देख रहे थे।

वे कुछ भी कर नहीं पा रहे थे। बस भगवान से प्रार्थना कर रहे थे।

और तभी किसान की नजर पेड़ के मोटे तने में बनी एक बड़ी-सी कोटर पर पड़ी।

उसने देखा कि वहाँ मधुमक्खियों का एक बड़ा-सा छत्ता था। उसमें ढेर-सारा शहद भरा हुआ था।

किसान के मन में खयाल आया कि पेड़ की इतनी बड़ी कोटर के कारण ही मधुमक्खियों ने यहाँ घर बनाया है।

यदि में पेड़ को न काूँ तो यहाँ मधुमक्खियाँ पाल सकता हूँ।

जो शहद निकलेगा उसको बेचकर पैसे भी मिलेंगे, बस उसने पेड़ को काटने का विचार छोड़ दिया।

वह बोला, 'ठीक है पक्षियों, चींटियो और तितलियो, मैं इस पेड़ को नहीं का्टूँगा। तुम्हारे घर भी नहीं टूटेंगे। जाओ आराम से रहो।'

और वह अपनी कुल्हाड़ी उठाकर घर की ओर चल दिया।