आदत

नाना नानी की कहानियाँ

एक अमीर व्यक्ति ने एक नया घर खरीदा।

वह अपने पूरे सामान के साथ खुशी-खुशी नए घर में रहने आया।

अगले दिन सुबह जब वह सोकर उठा तो एक तीखी दुर्गध पूरी हवा में घुली. हुई थी।

यह दुर्गध इतनी तेज थी कि वह ठीक से साँस भी नहीं ले पा रहा था।

उसने बाहर निकलकर देखा और तब उसे पता चला कि उसके घर से ठीक अगले घर में चमड़ा रँगने का काम होता था।

चमड़े और रसायनों की दुर्गध दूर-दूर तक फैल रही थी। उसे यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि आस-पास के बाकी लोग वहाँ आराम से कैसे रहते हैं।

दो-तीन दिन के बाद जब उससे सहन नहीं हुआ तो वह उस चमड़ा रँगने वाले के पास गया और बोला-

आप अपना मकान मुझे बेच दीजिए। मैं अच्छे दाम दूँगा। आप

शहर के बाहर अच्छी-सी जगह देखकर अपना काम शुरू कर दीजिए!' चमड़ा रँंगने वाला बस इतना ही बोला, 'आप मुझे एक सप्ताह का समय दीजिए।'

अमीर व्यक्ति ने गिन-गिनकर एक सप्ताह का समय निकाला। आठवें दिन वह फिर वहाँ पहुँच गया और बोला, ' आपने मेरे प्रस्ताव के बारे में क्या सोचा है ?

क्या आप यह मकान मुझे बेचेंगे ?' रँगने वाला कारीगर बोला, 'अरे धीरे बोलिए। मेरी माँ आई हुई है।

अगर उसे यह सब पता चल गया तो वह बहुत नाराज हो जाएगी। वह यहाँ एक महीना रहेगी। आप बस उसे जाने दीजिए। मैं फिर आपको बता दूँगा कि क्‍या करना है।'

एक महीने का समय तो बहुत ज्यादा है। अमीर व्यक्ति ने सोचा, लेकिन उसके पास कोई और उपाय भी तो नहीं था। वह एक-एक दिन करके महीना खत्म होने का इंतजार करने लगा।

लेकिन पंद्रह-बीस दिन बीते तो उसको लगा कि अब दुर्ग थोड़ी कम हो गई है। अब सुबह उसे पहले जैसी परेशानी नहीं होती थी। एक दिन चमड़े वाला उसे रास्ते में मिला तो उसने पूछा, ' आपने अपने रसायनों में क्या बदलाव किया है ?

अब पहले जैसी दुर्गंध नहीं आती।' उत्तर में चमडे वाला मुस्कुरा दिया। एक महीना भी बीत गया लेकिन अमीर व्यक्ति फिर कभी चमडे वाले के पास नहीं आया।

एक महीने में चमडे वाले ने तो रसायनों में कोई बदलाव नहीं किया था। हाँ, उसके अमीर पड़ोसी को उस गंध की आदत पड़ गई थी।

चमड़े वाला जानता था कि आदत पड़ने पर दुर्गध भी बुरी नहीं लगती। और उसने इसीलिए अपने पड़ोसी से एक महीने का समय लिया था।

वे दोनों आज भी पड़ोसी हैं और किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं है।