एक छोटे-से गाँव में एक डाक्टर साहब का छोटा-सा अस्पताल था।
उनके पास बहुत से लोग अपना इलाज करवाने आते थे।
एक बार एक बूढ़ी अम्मा उनके पास आईं। बूढ़ी अम्मा को अपनी उम्र के कारण देखने में बहुत परेशानी होती थी। पिछले कुछ दिनों से उनको दिखाई देना बिलकुल बंद हो गया था। इसीलिए वे डाक्टर के
पास आईं और बोलीं-
'डाक्टर साहब, मुझे आजकल कुछ दिखाई नहीं देता। बड़ी तकलीफ होती है, मेरा कुछ इलाज करो।'
डाक्टर ने बूढ़ी माई की आँखों का अच्छी तरह निरीक्षण किया और बोले-
'देखो अम्मा, तुम्हारी आँखें ठीक तो हो जाएगी। मगर खर्चा थोडा ज्यादा हो सकता है। तुम्हारी आँखों की रोशनी करीब-करीब जा चुकी है। इसलिए थोड़ा लंबा इलाज करना पड़ सकता है।
डाक्टर साहब, खर्च की चिंता आप मत करो, पैसे तो हैं मेरे पास। मगर मैं एक बात कहती हूँ।' बूढी माई बोली।
“बोलो अम्मा, क्या कहना चाहती हो?' डाक्टर ने पूछा।
'देखो मैं ठहरी बूढी, बार-बार यहाँ आने में मुझे मुश्किल होगी, इसलिए आपको मेरे घर आकर इलाज करना होगा।' वह बोली।
“चलो ठीक है।' डाक्टर ने कहा, “अब सुनो, तुम्हें क्या करना है ?
“एक और बात डाक्टर साहब, खर्चे की मुझे चिता नहीं है। लेकिन आपकी फीस में तभी दूँगी, जब मेरी आँखें सच में .पूरी तरह ठीक हो जाएँगी।
बूढ़ी अम्मा ने डाक्टर को समझाया।
डाक्टर साहब को पूरा विश्वास था कि उनके इलाज से बूढ़ी अम्मा की आँखें जरूर ठीक हो जाएँगी।
इसीलिए वे उनकी बात मान गए। फिर उन्होंने अम्मा को समझाया कि क्या करना हे।
इलाज शुरू करने के लिए जब वे बूढ़ी अम्मा के घर पहुँचे तो उन्होंने वहाँ बहुत-सी कीमती चीजें देखीं। उनको लालच आ गया। बूढ़ी माई के अंधेपन का फायदा उठाकर उन्होंने कुछ चीजें चुरा लीं।
अब तो हर बार वे यही करने लगे। जब भी बूढ़ी माई के घर इलाज के लिए जाते, कुछ चीजें चुरा लेते। धीरे-धीरे उनका लालच इतना बढ़ गया कि उन्होंने ठीक से इलाज करना बंद कर दिया ताकि
ज्यादा दिनों तक बूढ़ी माई अंधी रहें और वे ज्यादा-से-ज्यादा चीजें चुरा सकें।
इसलिए वे दवा की जगह उन्हें पानी में चीनी डालकर पिला देते थे।
धीरे-धीरे बूढ़ी माई का घर खाली होने लगा।
जब सब कुछ वहाँ से गायब हो गया, तब डाक्टर ने ठीक से इलाज करना शुरू किया। कुछ दिनों में उनकी दवा काम करने लगी और धीरे-धीरे बूढ़ी अम्मा की आँखें ठीक हो गईं।
लेकिन आँखें ठीक होने के बाद उन्होंने जब अपने घर को देखा तो सभी कीौमती चीजें गायब थीं।
वे समझ गईं कि ये सब डाक्टर ने किया है और उनकी सभी अच्छी और बहुमूल्य वस्तुएँ चुरा ली हैं।
जब डाक्टर ने अपनी फीस माँगी तो बूढी माई ने कहा, “मेरी आँखें ठीक नहीं हुई हैं, मुझे कुछ दिखाई नहीं देता।'
“लेकिन तुम मुझे देख सकती हो अम्मा, चारों ओर देखो तुम्हें सब दिखाई देगा।
' डाक्टर ने कहा। अम्मा ने एक बार फिर चारों ओर देखा और बोली, 'नहीं-नहीं, डाक्टर साहब मुझे कुछ दिखाई नहीं देता।'
डाक्टर को बहुत गुस्सा आया कि सही इलाज के बाद भी अम्मा झूठ क्यों बोल रही हैं ?
डाक्टर ने गाँव की पंचायत में शिकायत की। गाँव के सभी बुजुर्ग, समझदार लोग बूढ़ी माई के घर इकट्ठे हुए।
तब बूढ़ी अम्मा ने पूरी बात बताई, 'मेरी आँखों से पहले थोड़ा-थोड़ा दिखता था, जब मेरी आँखें खराब हुईं तब मेरे घर में बहुत-सी कीमती चीजें थीं।
अब जब इलाज के बाद मैंने आँखें खोलीं और चारों ओर देखा तो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता।
सभी चीजें गायब हैं, मैंने डाक्टर साहब से पहले ही कहा था कि उनकी फीस मैं तभी दूँगी जब मुझे सब दिखेगा।
लेकिन मुझे तो यहाँ कुछ भी दिखाई नहीं देता। इसलिए मैं फीस क्यों दूँ ?'
सभी लोग समझ गए कि चीजें डाक्टर ने चुराई हैं। इस गलत काम के लिए डाक्टर को सजा दी गईं।
उन्हें गाँव छोड़कर जाना पड़ा।