जब चित्र हुए सच्चे

नाना नानी की कहानियाँ

एक समय की बात है, एक शहर में एक छोटा लड़का रहता था।

उसका नाम था-सर्जक। वह बहुत गरीब था।

मजदूरी करता था। जो पैसे मिलते थे उनसे खाना खा लेता था।

कभी-कभी लोग तरस खाकर उसे पहनने के लिए कपडे दे देते थे।

उन्हीं से वह काम चला लेता था। पेड़ के नीचे सो जाता था। जब भी खाली समय मिलता, वह एक लकड़ी लेकर मिट्टी में चित्र बनाता था।

जो कोई उसके चित्रों को देखता, आश्चर्य में पड़ जाता था। उसके चित्र बहुत ही सजीव होते थे।

सर्जक को परियों की कहानियाँ बहुत अच्छी लगती थीं। एक रात वह बहुत भूखा था।

आज कोई काम नहीं मिला था। इसीलिए पैसे ही नहीं थे। वह आकर लेट गया। पता नहीं कब वह सो गया।

एक परी उसके सपने में आई और उससे बोली, 'सर्जक, तुम एक अच्छे बच्चे हो, यह लो, यह एक जादुई पेंसिल है।

इससे तुम जो भी चित्र बनाओगे, वह सच हो जाएगा।' यह कहकर परी गायब हो गई।

सर्जक जब सुबह उठा तो उसे रात का सपना याद था। 'कितना सुंदर सपना था' उसने सोचा। 'काश, यह सपना सच हो जाता।'

तभी उसने देखा कि उसके पास वही जादुई पेंसिल रखी है, जो परी ने दी थी। उसका सपना वाकई सच हो गया था।

उसने सबसे पहले जाकर मुँह धोया और दाँत साफ किए।

फिर उसने उस जादुई पेंसिल से बढ़िया नाश्ते का चित्र बनाया और वह चित्र वास्तविकता में बदल गया।

उसने पेट भरके नाश्ता किया।

फिर उसने अपने लिए अच्छे कपड़ों का चित्र बनाया। वह चित्र भी सच्चे कपडों में बदल गया।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्‍या हो रहा है। उसने कपडे बदले और सीधा अपने गरीब दोस्तों के पास पहुँचा।

उसने सभी के लिए अच्छा खाना, कपडे और घर के चित्र बनाए। सबने पेट भरके खाना खाया।

उसकी पेंसिल की चर्चा सब ओर होने लगी। राजा के पास भी यह बात पहुँची तो राजा ने सर्जक को बुलाया।

उन्होंने सर्जक से कहा कि उनके खजाने के लिए वह बहुत से धन ओर हीरे- जवाहरात का चित्र बनाए। लेकिन सर्जक ने मना कर दिया।

वह अपनी पेंसिल का प्रयोग केवल परेशानी में करना चाहता था, लालची लोगों के लिए नहीं।

राजा को क्रोध आ गया और उन्होंने सर्जक को जेल में डाल दिया। उसे खाना-पानी भी नहीं दिया जाता था।

लेकिन सर्जक अपनी पेंसिल से चित्र बनाकर रोज अच्छा खाना खा लेता था।

सैनिकों को जब इसका पता चला तो वे उसे मारने के लिए आए।

लेकिन इससे पहले कि वे उसे पकड पाते, सर्जक ने कारागार से निकलने के लिए सीढियों का एक चित्र बनाया, ये सीढियाँ सच में बन गईं और वह आजाद हो गया।

इस तरह सर्जक ने एक लालची राजा से अपनी जान बचाई। बाद में भी वह हमेशा परेशान लोगों की सहायता करता रहा।