ओर उमेश बदल गया

नाना नानी की कहानियाँ

उमेश एक किसान था।

गाँव के बाहर उसका एक बड़ा-सा फार्म-हाउस था।

फार्म-हाउस के बाहर वह अंगूर की खेती करता था। उसके खेत के अंगूर बहुत ही मीठे और रसीले होते थे।

जब फसल पकने लगती थी तो आस-पास के बच्चे कभी-कभी वहाँ आकर दो-चार अंगूर तोड़ लेते थे।

उमेश को यह देखकर अच्छा नहीं लगता था।

इसलिए उसने खेत के चारों ओर ऊंची बाड़ लगा दी। अब बच्चे वहाँ नहीं आ सकते थे।

लेकिन फिर वहाँ चिडियाँ आने लगीं। वे दो-चार फल चोंच से खा लेती थीं।

उमेश को चिडियों का आना भी अच्छा नहीं लगता था। इसलिए खेत के ऊपर उसने तारों का एक जाल लगा दिया।

गाँव में किसान अलग-अलग तरह के फल और सब्जियाँ उगाते थे।

फसलं पकने पर वे सब थोडे-थोड़े फल या सब्जियाँ गाँव के मुखियाजी को भेंट करते थे।

फिर एक दिन मुखिया जी सभी गाँव वालों को बुलाकर दावत करते थे। इस तरह सब लोग एक-दूसरे के फलों को चख सकते थे।

लेकिन उमेश इसमें शामिल नहीं होता था। उसे अपने अंगूरों का एक भी गुच्छा किसी को देना अच्छा नहीं लगता था।

इस बार जब फसल तैयार हुई तो उसने अंगूर के गुच्छों को अपनी घोड़ा-गाडी में रखा और शहर की ओर चल दिया।

वह सबसे पहले शहर के बाजार में पहुँचना चाहता था, जिससे कि उसके अंगूरों की अच्छी बिक्री हो जाए।

उसने घोड़े को तेज, और तेज दौड़ाया। रास्ता लंबा था। घोड़ा दौड़ रहा था। गाड़ी उछल रही थी।

उमेश ने ध्यान ही नहीं दिया कि इस जल्दीबाजी में अंगूर के गुच्छे एक-एक करके सड॒क पर गिरते जा रहे थे। जब उमेश शहर पहुँचा तो उसके ज्यादातर अंगूर गिर चुके थे।

उमेश ने जब खाली गाड़ी देखी तो वह बहुत दुखी हुआ। जो बचे हुए गुच्छे थे, उन्हें बेचकर वह वापिस गाँव की ओर चल पड़ा।

असल में ये गुच्छे गाँव के अलग-अलग लोगों ने उठा लिए थे। कुछ अंगूर जानवर उठाकर ले गए थे। उमेश इससे अनजान था। वह आश्चर्यचकित था कि अंगूर आखिर गए कहाँ!

शाम को जब वह उदास चेहरा लिए घर पहुँचा तो उसके घर के सामने बहुत-से लोग जमा थे। उसे आश्चर्य हुआ। क्‍योंकि वह न तो कभी किसी के घर जाता था, न किसी को बुलाता था।

उसने देखा कि सबने अपने हाथों में डिब्बे पकड़े हुए थे। असल में ये वे लोग थे, जिन्हें उमेश के अंगूर मिले थे।

वे सब अंगूरों का कुछ-न-कुछ व्यंजन बनाकर उमेश के लिए लाए थे। गाँववालों का प्यार देखकर उमेश की आँखें भर आईं।

आज पहली बार उसे महसूस हो रहा था कि बाँटने में कितना सुख है।

वे चिडियाँ, जिन्होंने रास्ते से अंगूर बीने थे-उमेश के लिए गा रही थीं। वे जानवर, जिन्होंने अंगूर उठाकर खाए थे, नाच रहे थे। सबके प्यार को देखकर उमेश अपना दुख भूल गया।

उसने अगले ही दिन ऊँची बाड़ और तारों का जाल खेत से हटा दिया। अब वह पहले जैसा उमेश नहीं रहा था। वह बदल गया था।