बहुत पुरानी बात है, चीन के एक गाँव में एक लड़का चैंग अपनी माँ के साथ रहता था।
वह हर दिन सुबह जाकर मैदानों से हरी- हरी घास काटता था और अपने चाचा को लाकर देता था।
चाचा यह घास अपनी गायों को खिलाते थे। बदले में वह चैंग को एक कटोरा चावल देते थे।
इस तरह से उनका जीवन चल रहा था।
एक बार वहाँ बारिश नहीं हुई। गर्मी कम ही नहीं हो रही थी।
घास के मैदान सूखने लगे। धीरे-धीरे चारों ओर की सारी घास सूखकर पीली हो गई।
अब चैंग को हरी घास मिलती ही नहीं थी।
इसलिए चाचा चावल भी नहीं देते थे और माँ और बेटे को भूखा रहना पड़ता था।
एक दिन परेशान होकर चैंग पहाड़ के दूसरी ओर घास ढूँढ़ने चल पडा।
उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चारों ओर कौ पीली घास के बीच जमीन का एक टुकड़ा ऐसा था, जहाँ बहुत-सी हरी घास उगी थी। उसने ढेर सारी घास काट ली।
वापिस जाने लगा तो उसे सफेद रंग का एक मोती मिला।
उसने मोती को अपनी जेब में रखा और घास ले जाकर चाचा को दी।
चाचा ने हमेशा की तरह उसे कटोरा भरकर चावल दिए। घर आकर उसकी माँ ने थोडे-से चावल बनाए।
थोड़े शाम के लिए रख दिए। चेंग ने वह मोती चावल के आधे भरे कटोरे में रख दिया।
और फिर एक जादू हुआ। उसने देखा कि कटोरा तुरंत पूरा भर गया। वह समझ गया कि यह कोई जादुई मोती था।
उसने मोती को आधे भरे पानी के बर्तन में रखा और बर्तन पानी से भर गया।
मोती की मदद से उसने बहुत से चावल इकट्ठे किए ओर गाँव के लोगों में बाँट दिए।
वह हर रोज मोती की मदद से मिले चावलों को गाँव के लोगों में बाँट देता था।
सब उसे बहुत आशीर्वाद देते थे। लोगों ने चाचा से चावल खरीदना बंद कर दिया।
चाचा को मुश्किल होने लगी। उसने वह मोती चुराने का निर्णय लिया।
एक रात वह चुपके से चैंग के घर में घुसा।
उसने देखा मोती चैंग के तकिए के पास रखा था। चाचा ने जैसे ही मोती उठाया, चेंग जाग गया।
इससे पहले कि वह चाचा से मोती ले पाता, चाचा ने मोती निगल लिया। बस फिर क्या था।
मोती उसके पेट में गर्मी से पिघलने लगा। चाचा का पूरा शरीर गर्मी से जलने लगा।
उसे इतनी प्यास लगी कि उसने घर में रखा सारा पानी पी लिया। फिर भी प्यास कम नहीं हुई। उसने गाँव के कुएँ का सारा पानी पी लिया।
प्यास फिर भी नहीं बुझी। उसने पूरा तालाब खाली कर दिया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
धीरे-धीरे यह गर्मी इतनी बढ़ गई कि चाचा के मुँह से आग निकलने लगी। लोग घबराकर उससे दूर भागने लगे।
चाचा समझ गया था कि मोती चुराकर उसने सबसे बड़ी गलती की है। लेकिन अब क्या हो सकता था ? चाचा से डरकर लोग उसे ' ड्रैगन कहकर बुलाने लगे, क्योंकि ड्रैगन का अर्थ होता है-डरावना व्यक्ति।
आखिर चाचा को गाँव छोड़कर कहीं दूर जाना पड़ा। और ऐसे जन्म हुआ ड्रैगन का।