सोनू एक शरारती लड॒का था।
बात-बात में दूसरों को ललकारना और शर्त लगाना उसे बहुत पसंद था।
एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ था। उसके हाथ में एक काँच की गुड़िया थी।
वह अपने दोस्तों से बोला, 'देखो, में इस गुडिया को नीचे जमीन पर गिरा दूँगा। फिर भी टूटेगी नहीं।'
उसका दोस्त पिंटू बोला, 'सोनू, तू हमेशा अजीब-सी बातें क्यों करता है ?
काँच की चीज नीचे गिराएगा और टूटेगी नहीं ? रहने भी दे!'
सोनू अकड॒कर बोला, “ऐसी बात है? तो चलो, हो गईं शर्त
एक-एक चॉकलेट की।'
'ठीक है।' पिंटू ने कहा।
सोनू ने गुड़िया को बिलकुल सीधा पकडा। गुड़िया के नीचे रबड़ का एक गोल टुकड़ा लगा था, जिस पर गुडिया लगाई गई थी।
सोनू ने जब गुड़िया गिराई तो वह सीधी गिरी और रबड़ का गोल आधार ही जमीन से टकराया। इसलिए गुड़िया टूटी नहीं, बल्कि सीधी खड़ी हो गई।
सोनू खुशी से चिल्लाया, 'ये देखो मेरा कमाल! मैं शर्त जीत गया .... मैं शर्त जीत गया .... निकालो मेरी चॉक्मलेट! '
पिंटू को आश्चर्य हुआ कि गुडिया बिलकुल सीधी केसे गिरी। वह समझ गया कि यह इत्तिफाक ही हो सकता है। उसे पता था कि इत्तिफाक बार-बार नहीं होते।
वह सोनू से बोला, 'सोनू, तू तो बड़ा ही होशियार है। जरा एक बार और ऐसा कमाल करके दिखा ना!'
सोनू घमंड से इतना फूल गया था कि उसने झट से एक और शर्त लगा ली-' लेकिन शर्त इस बार दो-दो चॉकलेट्स की लगेगी। ठीक है ?'
“ठीक है।' पिंटू ने कहा।
सोनू ने गुडिया नीचे गिराई। इस बार उसका ध्यान गुड़िया में कम और चॉकलेट्स में ज्यादा था।
गुडिया जमीन से टकराई और 'छनन' से टूट गई। सोनू चौंक गया। घबराकर बोला, 'गुडिया टूट गई। मम्मी गुस्सा करेंगी। अब मैं कया करूँ ?
तब पिंटू बोला, 'सोनू, एक ही तरह की गलती की माफी भगवान भी एक ही बार देते हैं, बार-बार नहीं।
लेकिन अपने घमंड के कारण तू यह बात समझ ही नहीं पाया।
चल, मुझे चॉकलेट खिला और खुद खा मम्मी की डाँट। समझा कया!'