निकालना आसान, सुधारना मुश्किल-भला क्‍या?

नाना नानी की कहानियाँ

बहुत पुरानी बात है, एक शहर में एक चित्रकार रहता था।

वह बहुत सुंदर चित्र बनाता था।

सभी उसकी प्रशंसा करते थकते नहीं थे।

लेकिन उसे लगता था कि उसे और ज्यादा लोगों को अपने द्वारा बनाए, चित्र दिखाकर उनकी राय पूछनी चाहिए।

इसीलिए उसने एक बढिया चित्र बनाया और उसे अपने घर के पास के चौराहे पर रख दिया।

साथ में एक बोर्ड पर लिख दिया कि इस चित्र में जो भी गलतियाँ हों उन पर निशान लगा दीजिए।

वह अपने घर की खिड़की से चुपके से देख रहा था।

काफी लोग उसके चित्र को देखकर रुके। उसे विश्वास था कि उसका चित्र

काफी अच्छा था, इसलिए कोई गलती निकालने के लिए निशान नहीं लगाएगा।

लेकिन तभी एक व्यक्ति आगे बढ़ा और उसने चित्र पर एक बड़ा-सा निशान लगाया।

उसके बाद,तो बहुत-से लोग आगे आए और तरह-तरह की गलतियाँ निकालने लगे। शाम को जब चित्रकार चित्र को लेने पहुँचा तो वह दुखी हो उठा।

उसके चित्र का कोई ऐसा भाग नहीं था, जिस पर कोई निशान न हो।

वह बहुत निराश हुआ। उसने फिर से बहुत मेहनत की। एक और सुंदर चित्र बनकर तैयार हो गया।

उसने फिर से चित्र को चौराहे पर रख दिया। लेकिन इस बार बोर्ड पर लिखा हुआ था-“इस चित्र में जो भी गलतियाँ हों, कृपया उन्हें सुधार दें।' साथ में उसने ब्रश और रंग भी रख दिए।

उसके चित्र को बहुत-से लोग देखने आए।

शाम को जब वह चित्र लेने पहुँचा तो उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उस पर एक निशान तक नहीं था।

वह सुबह जैसा ही साफ-सुथरा रखा था। साथ में एक कागज का टुकड़ा रखा हुआ था। उस पर लिखा था, 'दूसरों की गलतियाँ निकालना आसान है।

उन्हें सुधारना मुश्किल है। आप एक अच्छे चित्रकार हैं। हमारी शुभकामनाएँ'

चित्रकार उस कागज को पढ़कर मुस्कुराया और अपना सामान उठाकर घर की ओर चल दिया।

तो निकालना आसान, सुधारना मुश्किल, भला क्या ? - गलती!