एक छोटी-सी चींटी एक पेड के नीचे से जा रही थी। तभी एक पत्ता तेजी-से उसके ऊपर गिरा।
चींटी घबरा गई। वह जोर से चिल्लाई- भूकंप आया, भूकंप आया। उस पत्ते पर एक लंबा कीड़ा बैठा था।
उसने सुना तो वह भी घबराकर जल्दी-जल्दी रेंगने लगा। रेंगते हुए वह चिल्ला रहा था-' भूकंप आया! भूकंप आया!
उसकी आवाज पेड पर बैठे एक कौए ने सुनी। वह भी घबराकर काँव-काँव करने लगा। चींटी और कीडे के पीछे उड़ते-उड़ते वह चिल्लाने लगा-' भूकंप आया! भागो, भागो!'
कौए को इस तरह घबराया हुआ देखकर पेडु की कोटर में से एक चूहा निकला। क्या हुआ ? क्या हुआ ?' वह पूछने लगा।
कौओआ उड़ते-उड़ते बोला, “भूकंप आया भेया, भागो।' भूकंप! ' चूहा आश्चर्य से बोला।
“है भगवान बचा लेना।' यह कहकर उसने बिल में से अपनी गठरी उठाई और चींटी, कीड़े और कौए के पीछे-पीछे भागने लगा।
एक बिल्ली बहुत देर से चूहे के बिल से निकलने का इंतजार कर रही थी। उसने सबको ऐसे हड़बड़ाकर भागते हुए देखा तो वह भी डर गईं। उसने चूहे से पूछा, 'क्या हुआ? तुम सब ऐसे भाग क्यों रहे हो ?'
चूहा बोला, 'चीं-चीं, मौसी, भागो, भूकंप आया।'
भूकंप का नाम सुनकर बिल्ली को सब कुछ हिलता हुआ लगने लगा। वह भी भागने लगी-- म्याऊँ म्याऊँ' करती हुई।
दूर खड़े एक कुत्ते ने यह मजेदार दृश्य देखा। सबसे आगे चींटी, उसके पीछे कीड़ा, कौड़े के पीछे कौआ, कौए के पीछे चूहा और सबसे पीछे बिल्ली। “आखिर बात क्या है ?”
उसने मन ही मन सोचा। वह दौड़कर आया और बिल्ली के ठीक आगे आकर खड़ा हो गया।
बिल्ली चौंककर रुक गई कुत्ते ने पूछा, 'भौं भौं बात क्या है ? कोई बड़ी समस्या आ गई है क््या?'
'हाँ कुत्ते भैया, भूकंप आया है।' बिल्ली बोली।
' भूकंप ? कहाँ आया है भूकंप ? देखो मैं तो आराम से खड़ा हूँ जमीन पर।' कुत्ता बोला।
“लेकिन मुझसे चूहे ने कहा कि भूकंप आया है।' वह बोली।
अब कुत्ते ने चूहे से पूछा, 'क्या भूकंप सच में आया था ? मुझे तो पता नहीं चला।'
चूहा बोला, 'कौए ने काँव-काँव करके मुझे बताया था कि भूकंप आया हे!'
“ठीक है, मैं कौए से पूछता हूँ।' कुत्ता बोला। फिर उसने कौए के पास आकर पूछा, “कब आया भूकंप कौए भाई ?
“जब मैं पेड़ पर बैठा था, तब!' उसने उत्तर दिया। 'पेड हिलने लगा था क््या ?' कृत्ते ने फिर पूछा।
कि 'वो तो पता नहीं, लेकिन ये रेंगने बाला कीडा चिल्ला रहा था कि भूकंप आया, भूकंप आया।
इसीलिए मैं भी उडकर सबको बताने लगा।' कौए ने समझाया।
तो यह बात है। ठीक है, मैं कीडे से पूछता हूँ। शायद उसे पता हों भूकंप कब आया!' कुत्ता मुस्कुराते हुए बोला।
लेकिन कीड़े को भी पता नहीं था। वह बोला, 'मैं पेड के एक पत्ते पर आराम से लेटा हुआ था।
तभी बह पत्ता तेजी से नीचे गिरने लगा। जैसे ही पत्ता जमीन से टकराया, मैंने आवाज सुनी-भूकंप आया! चींटी घबराकर चिल्ला रही थी। मैं भी उसके पीछे भागने लगा।'
“तो फिर चींटी से ही पूछा जाए कि माजरा क्या है? कुत्ते ने कहा और चींटी के पास पहुँचा।
चींटी बोली, 'मैं पेड़ के नीचे से जा रही थी। तभी एक पत्ता तेजी से उड़ता हुआ आया और “धड़ाम' से गिरा। धरती हिली तो मैंने समझा कि भूकंप आया है। पर अब लगता है कि मैं यूँ ही डर गई थी।' चींटी ने चैन की साँस ली।
कुत्ता जोर से बोला, 'देखा, तुम सबने ? कोई भूकंप नहीं आया। तुम बिना किसी बात के एक-दूसरे के पीछे दौड़ रहे थे। अरे भाई, किसी बात को मान लेने से पहले उसे पूरी तरह से समझना भी तो जरूरी है। चलो, अब सब लोग अपने-अपने घर जाओ।'
यह सुनते ही चूहा तेजी से भागा, क्योंकि बिल्ली ठीक उसके पीछे खड़ी थी। बिल्ली उसके पीछे दोडी।
कोड़ा झट से जाकर एक पत्थर के नीचे छिप गया। कौआ उसे ढूँढ़ने लगा। और चींटी अपने काम पर वापिस लौट गई।
मुसीबत में सब साथ थे, लेकिन अब तो मुसीबत टल गई थी!