जब यह धरती बनी तब आकाश में बस सूरज था।
फिर रात में हलका प्रकाश रहे इसलिए ईश्वर ने चंद्रमा बनाया।
लेकिन तारे ? वे कहाँ से आए ?
तारे कहाँ से आए इसकी एक पुरानी लोककथा हे।
एक गाँव में एक गरीब व्यक्ति और उसकी पत्नी रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी।
उन्होंने बहुत पूजा-प्रार्थना की। तब ईश्वर की कृपा से उनके घर में एक पुत्र का जन्म हुआ।
बालक बचपन से ही बहुत होनहार था।
कोई भी काम तुरंत सीख जाता था। उसमें कुछ ऐसी चमत्कारी शक्ति थी कि वह जो कुछ सोचता था, वह हो ही जाता था।
इस बालक का नाम संभव रखा गया। उसका मानना था कि सब कुछ संभव है।
संभव बड़ा हुआ तो उसका विवाह एक सुंदर कन्या से कर दिया गया। अपनी पत्नी से मिलने, संभव पहली बार जब ससुराल गया तो उसका बहुत सत्कार हुआ।
तरह-तरह की मिठाइयाँ, हलवा, पूरी, क्या नहीं था वहाँ। संभव ने पेट भरकर खाना खाया।
फिर उससे पूछा गया कि और क्या लेंगे, तब उसने पास में रखी एक चिलम की ओर इशारा कर दिया।
तुरंत उसके लिए चिलम भरने की तैयारी शुरू हो गई।
मजाक करने के लिए संभव की पत्नी की छोटी बहन ने चिलम में तंबाकू के साथ नमक मिला दिया।
जैसे ही संभव ने कश लिया, नमक जलने लगा और नमक की चिंगारियाँ उड़कर बाहर आने लगीं।
संभव ने चिगारियों से बचने के लिए जोर से एक फूँक मारी।
ये फूँक इतनी तेज थी कि सभी चिगारियाँ उड़कर आकाश में चली गईं।. यही चिगारियाँ आकाश में जाकर तारे बन गईं।