प्रिंस सात वर्ष का एक जिद्दी बच्चा था।
उसके पास ढेर-सारे खिलौने थे।
लकडी के इमारती ब्लॉक्स, गाडियाँ, बैटरी से चलने वाले रोबोट, कारें, हवाई जहाज, लूडो, साँप-सीढी, स्क्रेबल, वगैरह-वगेरह। लेकिन प्रिंस की हमेशा एक ही शिकायत रहती थी-
“ये सब खिलौने पुराने हो गए हैं। मुझे नए खिलौने चाहिए। मैं इनसे बोर हो गया हूँ।'
एक दिन तो उसने गुस्से में अपने खिलोनों को इधर-उधर फेंक दिया।
प्रिंस के पापा ने यह देखा तो वे बहुत नाराज हुए। लेकिन सबसे ज्यादा दुख जिन्हें हुआ, वे थे प्रिंस के खिलौने।
ये खिलौने प्रिंस को बहुत प्यार करते थे। वे चाहते थे कि प्रिंस भी उनकी देखभाल करे, उन्हें प्यार करे।
एक रात जब प्रिंस सो रहा था तब सब खिलौने इकट्ठे हुए। उनका कहना था कि प्रिंस अब उन्हें प्यार नहीं करता। उन्होंने तय किया कि वे अब वहाँ नहीं रहेंगे।
सारे खिलौने प्रिंस की गाडी पर सवार हो गए। गाड़ी चल पड़ी और बे बागीचे में एक झाडी के पीछे जाकर छिप गए।
सुबह जब प्रिंस सोकर उठा तो उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ। उसका कमरा बिलकुल खाली था। एक भी खिलौना नहीं था वहाँ।
उसके खिलौने भले ही पुराने, बेकार थे, लेकिन सुबह उठकर उन्हें इधर-उधर फैला हुआ न पाकर प्रिंस परेशान हो गया।
वह दौड़कर मम्मी के पास आया।
सुबह-सुबह प्रिंस को परेशान देखकर मम्मी ने पूछा, 'क्या बात है प्रिंस ? क्या हुआ ?'
“मम्मी मेरे सारे खिलौने कहाँ गए ? मेरे कमरे में तो एक भी खिलोना नहीं है।' वह बोला।
'खिलोने नहीं हैं ?' मम्मी ने आश्चर्य से पूछा। उन्होंने कमरे में जाकर देखा तो वहाँ सच में कुछ नहीं था।
जब प्रिंस नहाने गया था, तब उसकी मम्मी बगीचे में पानी देने गईं उन्होंने देखा कि प्रिंस के खिलौनों से कुछ आवाजें आ रही थीं।
उन्होंने ध्यान से सुना, तब उन्हें बात समझ में आई। खिलौने आपस में बातें कर रहे थे-
'प्रिंस हमें क्यों पसंद नहीं करता ?' 'हाँ, हम तो उसे कितना प्यार करते हैं ना!! “कल तो उसने हमें उठाकर फेंक ही दिया था।'
“देखो मेरे चोट लगी।' 'अब हम उसके पास नहीं जाएँगे।'
'हाँ, जब तक वह हमें प्यार से नहीं बुलाएगा, हम नहीं जाएँगे।'
अब मम्मी को पूरी बात समझ में आ गई। उनके दिमाग में एक उपाय आया।
उनके घर के पास एक झोंपड़-पट्टी थी। मम्मी ने एक बार प्रिंस के कुछ खिलौने झोंपड-पट्टी के बच्चों को दिए थे।
उन्होंने प्रिंस से कहा, “प्रिंस, जल्दी से तैयार हो जाओ, हम घूमने जाएँगे।'
घूमने के नाम से प्रिंस ने फटाफट तैयार होकर दूध पी लिया। वह और उसकी मम्मी घर से निकले और झोंपडु-पट्टी की ओर चल पडे।'
वे झोंपड़-पटूटी में एक घर के आगे जाकर रुक गए। यह उनकी कामवाली बाई का घर था।
बाहर बाई के बच्चे खेल रहे थे। प्रिंस ध्यान से उन्हें देखने लगा। वे लोग राजा-रानी का खेल खेल रहे थे। राजा बना था पुराना-सा गुड्डा।
प्रिंस ने ध्यान से देखा, ' अरे, ये तो मेरा पुराना गुड्डा है।' प्रिंस धीरे से बोला, 'ये गुड्डा तो मैंने फेंक दिया था। इसके कपडे भी फट गए थे। लगता है इन बच्चों ने इसके नए कपडे बनाए हैं।'
एक दूसरे बच्चे के हाथ में एक लाल रंग की कार थी। यह कार प्रिंस की टूटी हुई पुरानी कार थी। उसका एक पहिया भी निकल गया था। लेकिन ये बच्चे कितनी शान से राजा की सवारी उस पर निकाल रहे थे। उनके पास जो भी खिलौने थे सब पुराने और थोडे टूटे हुए ही थे। लेकिन वे बडे ही प्यार से उनसे खेल रहे थे।
मम्मी ने कामवाली बाई से कुछ बात की। फिर प्रिंस से बोलीं, 'चलो प्रिंस देर हो रही है ?' प्रिंस का चेहरा देखकर उन्हें समझ में आ रहा था कि वह किसी गहरी सोच में है।
घर जाकर प्रिंस सीधा पूजाघर में गया। वह हाथ जोडकर, आँखें बंद करके बैठ गया।
फिर बोला, 'हे भगवान, मेरे सारे खिलौने मेरे कमरे से चले गए हैं।
मम्मी कहती हैं कि वे मुझसे नाराज हैं। मुझे बे वापिस दे दीजिए। उनसे कहिए कि में अब उन्हें बहुत . प्यार करूँगा। उनकी देखभाल भी करूँगा। प्लीज भगवान...।'
जब उसने आँखें खोलीं तो उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ। इतनी जल्दी तो भगवान ने पहले कभी उसकी विनती नहीं सुनी थी।
उसके सारे खिलौने एक गाड़ी में भरे हुए उसके सामने रखे थे। वे हँस रहे थे , प्रिंस ने उससे वादा किया कि वह अब हमेशा उनकी देखभाल करेगा।
फिर सब खिलौनों ने मिलकर एक गीत गाया-
प्रिंस करेगा हमको प्यार
हम भी देंगे उसे दुलार
ताक धिना-धिन, तक घिन-घिन
नाचो भई इक, दो, तीन चार!