चीकू खरगोश ने झूठ बोला

नाना नानी की कहानियाँ

दो खरगोश थे। वे स्कूल जाने के लिए साथ-साथ घर से निकलते थे।

स्कूल का समय खत्म होने पर साथ-साथ ही घर वापिस आते थे। दोनों में खूब दोस्ती थी।

एक का नाम था-चीकू और दूसरे का नाम था मीकू।

एक दिन चीकू पहले घर से चल पड़ा। रास्ते में उसे जामुन का एक पेड़ दिखाई दिया।

पेड़ के नीचे बहुत सारी जामुन गिरी पडी थीं। चीकू को लालच आ गया।

उसने थोड़ी-सी जामुन उठाई और खाने लगा। एक बार खाना शुरू किया तो और भी खाने का मन हुआ। उसने सोचा- अभी मीकू तो आया नहीं है। उसका इंतजार करते-करते थोड़ी और खा लेता हैं !

चीकू ने ढेर सारी जामुन खाईं। उसे बड़ा मजा आ रहा था।

तभी मीकू कूदता-फादता वहाँ पहुचा। चीकू उसे देखकर बोला, 'चलो मीकू स्कूल के लिए देर हो रही है।

' लेकिन जैसे ही रीक ने बोलने के लिए. मुँह खोला।

मीकू उसे देखकर जोर-जोर से हँसने लगा।

क्या हुआ ?' चीकू ने पूछा।

इधर आओ।' इतना कहकर मीकू उसे एक तालाब के पास ले गया। फिर बोला-

'जरा पानी में अपनी परछाईं देखो। अपना मुँह खोलो और फिर देखो। '

चीकू ने अपना मुँह खोला और पानी में देखा तो उसे रोना आने लगा। वह बोला, 'हे भगवान, ये क्‍या हो गया ? ये मेरे दाँत जामुनी कंसे हो गए ?

'अब में क्‍या करूँ मीकू ? ऐसे स्कूल जाऊँगा तो सब मेरी हँसी उड़ाएँगे।

इन्हें साफ करने बैदूँगा तो बहुत देर हो जाएगी और टीचर गुस्सा होंगी। अरे कुछ तो उपाय बताओ मीकू।' उसने ऊहा।

मीक्‌ ने एकदम जेम्स बॉण्ड के तरीके से सोचा और बोला, तुम आँखें बंद करो।'

चीक्‌ ने आँखें बंद कर लीं। मीकू झाड़ी से एक लंबा-सा पत्ता तोड़ लाया और उसे चीकू के मूँह पर बाँध दिया।

चीकू ने पूछना चाहा, 'ये ... क्या ?'

जब टीचर तुझे पूछेंगी कि 'क्या हुआ' तो कह देना, मेरा मतलब है लिखकर बता देना कि तेरे मुँह में चोट लगी है।

इसीलिए पट्टी बाँधी है।' मीकू ने समझाया।

चीकू को उपाय अच्छा लगा। दोनों स्कूल पहुँचे। टीचर को जब पता चला कि चीकू को चोट लगी है तो उन्होंने चीकू को प्यार किया और ठीक से बैठने को कहा।

उन्होंने बाकी बच्चों से भी कहा, ' तुम्हारे दोस्त को चोट लगी है।

उसे कोई परेशान न करे।'

टीचर पढ़ा रही थीं तभी एक मक्खी आई और चीक्‌ की नाक में घुस गई। चीकू को जोर से छींक आई- 'आ..छीं .. और उसको पद्टी खुल गई।

टीचर ने देखा उसे चोट नहीं लगी है।

'तुृमने झूठ बोला चीकू ? क्‍यों ?' वह गुस्से से बोलीं।

अब चीकू को सच में रोना आ गया। उसने सारी बात सच-सच टीचर को पता दी।

टीचर ने उसे समझाया, 'झूठ बोलना बहुत गलत बात है। अपने दोस्तों की बात माननी चाहिए, लेकिन केवल वही बात जो सही हो।

बिना सोच-विचार के गलत बातें मानने से मुश्किल हो जाएगी। समझे ?'

फिर उन्होंने दाँतों के डॉक्टर को फोन किया।

डाक्टर ने आकर चीकू के दाँत साफ कर दिए।

चीकू अब बहुत खुश था, क्योंकि उसे अब झूठ बोलने की कोई जरूरत नहीं थी।