भाग्यशाली कागज

नाना नानी की कहानियाँ

पायल पहली कक्षा में पढ़ने वाली प्यारी बच्ची थी।

एक दिन तेयार होकर जब वह स्कूल जाने के लिए बाहर आई तो कार के पास उसे एक कागज मिला।

कागज पर सुदर-सुंदर चित्र बने थे।

ज्यादा तो वह पहचान नहीं पाई, हाँ उनमें से एक मिकी माउस भी था।

उसने चारों ओर देखा, वहाँ कोई भी नहीं था। उसने सोचा कि इसमें से देखकर मिकी माउस का चित्र बनाएगी।

इसीलिए वह कागज उसने अपनी शर्ट की जेब में रख लिया।

जब वह स्कूल पहुँची तो पहली ही क्लास में उसे स्केल की जरूरत पडी।

उसने अपना डिब्बा खोला-स्केल निकालने के लिए। यह क्या ?

स्केल तो वह लाना ही भूल गई थी। उसकी दोस्त अमिता अक्सर अपने पास गत्ते के तीन-चार स्केल रखती थी।

उसे एक बार किसी खिलौने के साथ मुफ्त मिले थे। पायल ने अमिता से कहा-

'मैं आज स्केल लाना भूल गई हूँ। मुझे गत्ते का एक स्केल दे दो बदले में में तुम्हें यह सुंदर-सा कागज दूँगी, ये देखो!” उसने वह कागज अमिता को दिखाया, जो उसे सुबह मिला था।

अमिता को आइडिया अच्छा लगा। कागज पर मिकी माउस का चित्र था। उसने स्केल के बदले में कागज ले लिया।

खाने की छुट्टी में अमिता और हिमानी साथ बैठकर खाना खा रहे थ्रे। हिमानी आज बड़ी-सी चाकलेट लाई थी।

अमिता ने हिमानी से कहा, 'मुझे थोड़ी चाकलेट दोगी ? बदले में मैं तुम्हें एक सुंदर चित्र दूँगी। ये मेरा भाग्यशाली कागज है।

' हिमानी को भाग्यशाली चीजें अच्छी लगती थीं। उसने कागज के बदले में अमिता को चाकलेट का एक टुकड़ा दे दिया।

हिमानी कागज को लेकर घूम रही थी। सबको दिखा रही थी अपना भाग्यशाली कागज।

राजू ने भी उसे देखा। उसे चित्र बहुत अच्छे लगे। वह हिमानी से बोला, 'ये कागज मुझे दे दो। बदले में मैं तुम्हें अपनी कहानी की किताब दूँगा।

बोलो मंजूर है?'

हिमानी को बात फायदे की लगी। उसने कहा, 'ठीक है' और राजू के पास वह कागज पहुँच गया।

जब छुट्टी हुई तो सब बच्चे घर जाने के लिए बाहर निकले। पायल अपनी कार की ओर जा ही रही थी, तभी राजू दौड़ता हुआ आया और बोला-“पायल रुको, क्या मैं आज तुम्हारे साथ चल सकता हूँ ?'

'हाँ-हाँ, क्‍यों नहीं।' पायल बोली।

रास्ते में पायल ने राजू को अपने इकट्ठे किए हुए डाक-टिकट दिखाए। राजू ने देखा कि पायल के पास कुछ डाक टिकट दो-दो थे। उसने पायल से पूछा, 'क्या तुम इस सुंदर, भाग्यशाली कागज के बदले

मैं ये दो टिकट मुझे दोगी? वैसे भी तुम्हारे पास तो दो-दो हैं।'

पायल ने देखा कि यह तो वही कागज था, जो सुबह उसे घर के बाहर मिला था। उसने टिकट के बदले में कागज ले लिया।

वह घर पहुँची तो देखा मम्मी-पापा परेशान थे। जैसे कुछ ढूंढ रहे थे।

“कहाँ रखा तुमने ?' मम्मी बोलीं।

“यहीं अपनी जेब में। सुबह तक यहीं था।' पापा ने कहा।

पायल ने पूछा, 'क्या खो गया मम्मी ?'

“बेटा, पापा हम सबके लिए वॉटर-पार्क का टिकट लाए थे। काफी सारे पैसों का टिकट था वह। अब मिल नहीं रहा है।' मम्मी ने बताया।

पायल को सुबह वाला कागज याद आया।

“ये देखो मम्मी, ये मुझे सुबह बाहर पड़ा मिला।'

उसने कागज मम्मी के हाथ में दिया।

मम्मी-पापा दोनों एक साथ बोले, 'पायल, तुम्हें आज एक खास पार्टी मिलेगी। हम शाम को बाहर खाना खाने जाएँगे, फिर झूला झूलने और फिर आइसक्रीम और रविवार को वॉटर-पार्क , ठीक है।'

पायल को विश्वास नहीं हो रहा था, "कागज तो सचमुच मेरे लिए भाग्यशाली हो गया।' वह मन-ही-मन सोच रही थी।