समुद्र के बीचोंबीच एक छोटा-सा द्वीप था।
वह रंगहीन द्वीप के नाम से जाना जाता था।
यह नाम उसे इसलिए मिला, क्योंकि उस द्वीप पर कोई रंग नहीं था। हर वस्तु बस काली और सफेद थी। वहाँ सिर्फ काले और सफेद फूल खिलते थे।
धूप का रंग सुनहरा नहीं बल्कि सफेद था। टमाटर लाल नहीं काले उगते थे वहाँ। उस द्वीप पर रहने वाले लोग काला-सफेद खाना खाते थे।
यहाँ तक कि उनके सपनों में भी यही दो रंग होते थे।
कोई रंग न होने के कारण वहाँ के लोग खुद भी एकदम रंगहीन थे। न ज्यादा हँसते थे, न ज्यादा खुश रहते थे।
वहाँ के राजा-रानी ने सुना था कि दुनिया में बहुत सारे रंग है।
वे चाहते थे कि उनके द्वीप पर भी बहुत से रंग आ जाएँ।
समुद्र में और भी कई सारे द्वीप थे। ऐसे ही एक दूर देश में एक बूढ़ा जादूगर रहता था।
एक समय था, जब वह एक शक्तिशाली जादूगर था। लेकिन अब कई वर्षों से उसने कोई जादूगरी नहीं दिखाई थी। वह धीरे-धीरे जादू के मंत्र भूलता जा रहा था।
रंगहीन द्वीप के राजा ने भी इस जादूगर के बारे में सुना था। उसने अपने दूत को भेजा, जादूगर को बुला लाने के लिए। बूढ़ा जादूगर चकित था कि अचानक राजा को उसकी क्या जरूरत पड़ गई।
उसने एक कोने में से अपना थेला उठाया। उस पर ढेरों धूल जमा थी। उसमें जादूगर का वह सामान था, जो वह पहले प्रयोग में लाता था। थैले को झाड़कर उसने कंधे पर डाला और दूत के साथ चल दिया।
चार दिन तक वे लोग नाव में चलते रहे। तब कहीं जाकर रंगहीन द्वीप पहुँचे।
राजा ने जादूगर का खूब स्वागत किया। आदर से उन्हें बैठाया और फिर सैनिकों को आदेश दिया-
'जाओ, बाबा को उनके कक्ष में आराम करने के लिए ले जाओ।'
जादूगर वाकई बहुत थक गया था, वह थोडी देर सोना चाहता था।
शाम को राजा खुद जादूगर से मिलने उसके कक्ष में आया।
उसने जादूगर को प्रणाम किया। फिर अपनी समस्या उन्हें बताई। बाबा, हमारे देश में कोई भी रंग नहीं है। देखिए, यहाँ आकर आपके रंग भी सफेद और काले हो गए हैं।
हम चाहते हें कि हमारे लोग भी खुश रहें। उनके जीवन में भी तरह-तरह के सुंदर रंग हों। आप हमारी मदद कीजिए।
जादूगर भूल चुका था कि रंग कैसे बनाए जा सकते हैं। उसने अपना थैले का समान उलट दिया।
तरह-तरह के अजीबोगरीब सामान के साथ-साथ एक प्रिज्म भी नीचे गिरा। उत्सुकता में जादूगर ने जा प्रिज्म हाथ में उठा लिया और खिड़की के पास जाकर देखने लगा।
जैसे ही प्रिज्म पर रोशनी की किरण पड़ी, उसके दूसरे छोर से एक इद्रधनुत महल की खिड़की से निकलकर आसमान तक फैल गया।
फिर एक-एक करके सात रंग नीचे उतरने लगे।
सबसे पहले लाल रंग नीचे गिरा। देखते ही देखते खेतों में टमाटर, सेब, सड़कों पर पोस्ट-बॉक्स, आग बुझाने वाली गाड़ी, सब लाल रंग के हो गए।
फिर उतरा नारंगी रंग, फिर पीला, फिर हरा, फिर नीला, फिर गहरा नीला और अंत में बैंगनी।
सारी धरती सात सुंदर रंगों में रंग गई। राजा-रानी बहुत खुश थे। उन्होंने जादूगर को धन्यवाद दिया और बहुत से उपहार दिए।
इंद्रधनुष के ये रंग समुद्र के पानी के अंदर तक चले गए। इसीलिए समुद्र के अंदर की दुनिया भी बहुत सुंदर और रंग-बिरंगी हो गई।
और फिर रंगहीन द्वीप का नाम बदलकर रंगीला द्वीप रख दिया गया। रंगीला द्वीप एक ऐसा द्वीप है, जिस पर आज भी ढेरों रंग हैं खुशियाँ हैं और वहाँ के लोग जी भरकर हँसते हैं।
जितना ज्यादा वे हँसते हैं, धरती उतनी ही सुंदर होती जाती हेै।