मिष्टी, बहुत ही प्यारी एक बच्ची है जो अभी बहुत छोटी है ।
वो अपने खिलौना से कम खेलती है और घर के समान से ज्यादा खेलती है।
जब भी उसके सामने कोई कुछ खाने बैठता है तो वो सामने से थाली पकड़ के अपनी ओर खींचती है ।
उनकी मम्मी, दादी और दादा ये सब देख के बहुत हँसा करते है । आस-पास के कुछ बच्चे जो उनसे थोड़े बड़े है हमेशा उनके पास खेलने आते है और उनको गोदी में लेके घूमती है ।
मिष्ठी अभी चलना नहीं जानती है लेकिन वो उछल कूद के यहॉँ से वहाँ चली जाती है। उनकी मम्मी उसे प्यार से मिष्ठू बुलाती है।
मिष्ठी के घर के बगल में बहुत सारे बंदर आया करते है और कभी-कभी वो दादा जी के साथ बंदर को दूर से देख के खेला करती है।
एक दिन की बात है मिष्ठी के घर में एक पूजा हुआ जिसमें बहुत सारे मिठाई भी आया था।
सभी मिठाईयों में मिष्ठी को लड्डू का थाली बहुत प्यारा लगा।
वो फुदक-फुदक के वहाँ तक पहुँच गयी और थाली में से एक लड्डू उठा ली और उसे खाने लगी की तभी वह एक छोटा सा बंदर आया और मिष्ठी के पास बैठ गया और उसके हाथ से लड्डू छीन ने लगा।
मिष्ठी जोर-जोर से रोने लगी, इतने में घर के सभी लोग निकल के आये।
मिष्ठी और बंदर को एक साथ देख के घबड़ा गए।
मिष्ठी कस के लड्डू पकड़ी थी और बंदर लपक रहा था।
फिर जैसे ही दादा जी डंडा निकाले की बंदर लड्डू के थाली में से एक लड्डू लेके भाग गया और ऊपर छत पे जाके मिष्ठी को दिखा-दिखा के खाने लगा।
बंदर को ऐसे मुँह बना के खाते देख मिष्ठी खिलखिलाने लगी।
घर में सब हँसे और फिर मिष्ठी की मम्मी उसे गोद में उठा के बहुत सारा प्यार करने लगी।